लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

Delhi Assembly के पूर्व सचिव बोले- MCD को एकीकरण करने के बाद दिल्ली विधानसभा को समाप्त कर देना चाहिए

राजधानी दिल्ली के तीनों नगर-निगमों को एकीकृत किए जाने को लेकर पिछले दिनों संसद में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 पेश किया गया। इसे लेकर राजधानी दिल्ली की राजनीति गरमा गई है।

राजधानी दिल्ली के तीनों नगर-निगमों को एकीकृत किए जाने को लेकर पिछले दिनों संसद में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 पेश किया गया। इसे लेकर राजधानी दिल्ली की राजनीति गरमा गई है।
राजधानी  के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के लिए एक विधेयक
केंद्र सरकार का यह कदम दिल्ली की जनता के कितने हित में है?इसमें कुछ भी नया नहीं है। वर्ष 1952 में दिल्ली विधानसभा का गठन हुआ था और चौधरी ब्रह्म प्रकाश मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उस समय से लेकर आज तक नगर निगम हमेशा से ही केंद्र सरकार के अंतर्गत ही रहा है। वर्ष 2011 में शीला दीक्षित ने इसके तीन टुकड़े कर दिए। कारण राजनीतिक रहे होंगे कि तीनों नगर निगम उनके अधीन हो जाएंगे और उनके तीन महापौर बन जाएंगे, क्योंकि उस समय दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर भाजपा का कब्जा था। इसलिए उन्होंने ऐसा किया था। हालांकि, उस समय कि केंद्र की तत्कालीन सरकार से इसकी अनुमति ली गयी थी और तत्कालीन सरकार ने अनुमति दे भी दी थी। बाद में विधानसभा से इसे पारित किया गया और केंद्र ने अनुमति दी।
विपक्षी दल इसे असंवैधानिक और संघीय ढांचे पर प्रहार बता रहे हैं।
 विपक्षी दलों का यही काम है और उसमें कुछ गलत भी नहीं है। दिल्ली की विधानसभा उन्नाव बलात्कार मामले पर चर्चा करे और प्रस्ताव पारित करे तो क्या यह संघीय ढांचे पर प्रहार नहीं है? जब दिल्ली की विधानसभा जम्मू कश्मीर के कठुआ की किसी घटना पर चर्चा करेगी और प्रस्ताव पारित करेगी तो क्या यह संघीय ढांचे पर प्रहार नहीं है? दिल्ली की विधानसभा संसद द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करे और राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित कानून की निंदा करे तो क्या यह संघीय व्यवस्था के खिलाफ नहीं है।
भारत के लोकतंत्र की निंदा करना
 दरअसल,  ऐसा करना संसद और भारत के लोकतंत्र की निंदा करना। अब दिल्ली नगर निगम एक होने जा रहा है और एक संविधान के जानकार के नाते, मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि दिल्ली की विधानसभा को अब समाप्त कर देना चाहिए। क्योंकि दिल्ली नगर निगम एक चुनी हुई निकाय बन जाएगा। इसके बाद विधानसभा का कोई औचित्य नहीं है। अब इस संस्था की कोई उपयोगिता नहीं रह जाएगी। इसका कोई काम नहीं है। कानून आप बना नहीं सकते, विधायी शक्तियां हैं नहीं आपके पास, केंद्र सरकार से पूछे बिना आप कुछ नहीं कर सकते। तो क्या जरूरत है विधानसभा की।
 तो क्या इस विधेयक को लाए जाने के पीछे केंद्र सरकार की यही मंशा है? मतलब विधानसभा को समाप्त करने की मंशा है?अब संविधान के जानकार से आप राजनीतिक सवाल पूछेंगे तो मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। मैं तो संवैधानिक ढांचा बता सकता हूं। चीजें संविधान के अनुरूप हैं या नहीं यह बता सकता हूं। सरकारों के अपने विचार हैं। वह क्या करना चाहते हैं और क्या नहीं करना चाहते हैं… यह राजनीतिक बयानबाजी हैं। इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
 केजरीवाल इसे अदालत में चुनौती देने की बात कर रहे है
 दिल्ली के बारे में कानून बनाने का अधिकार दिल्ली विधानसभा को है ही नहीं। इनकी विधायी शक्तियां शून्य हैं। दिल्ली के जितने कानून बने हैं, वह सारे के सारे कानून संसद ने बनाए हैं। क्योंकि संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने संविधान में व्यवस्था दी है कि भारत की राजधानी में कोई भी कानून भारत की संसद ही बनाएगी। अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी राजधानी के बारे में कानून बनाने का अधिकार केवल और केवल वहां की संसद को है। किसी अन्य निकाय को नहीं है। इसलिए, दिल्ली के बारे में सारे कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है।
एकीकरण की प्रक्रिया लंबी होगी
 जानकारी के मुताबिक  इसमें कम से कम पांच-छह महीने तो लगेंगे ही। इससे पहले संभव नहीं है। वार्ड नए बनेंगे और इसके लिए परिसीमन की आवश्यकता होगी। फिर आपत्तियां भी आएंगी और राजनीतिक दलों में खींचतान भी होगी और फिर उनका निपटारा किया जाएगा…कुल मिलाकर एक लंबी कवायद है। इसमें एक साल भी लग जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

20 − 17 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।