नई दिल्ली : राजधानी के निजी स्कूलों में मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए प्रवेश स्तर की कक्षाओं नर्सरी, केजी और पहली में दाखिले की होड़ शुरू हो गई है। शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार स्कूलों द्वारा शुक्रवार को दाखिले के लिए फॉर्म जारी कर दाखिला प्रक्रिया शुरू की गई।
नामचीन व पसंदीदा स्कूल में बच्चे के दाखिले के लिए अभिभावक सुबह से ही स्कूल में दाखिला फॉर्म के लिए लाइन में लगे दिखाई दिए। वहीं कुछ अभिभावकों ने डिजिटल सुविधा का लाभ उठाते हुए शिक्षा निदेशालय और संबंधित स्कूल की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरा।
ऑनलाइन फॉर्म भरने वालों की संख्या अधिक रही। वहीं शिक्षा निदेशालय की प्राइवेट स्कूल ब्रांच के निर्देशानुसार गुरुवार से शुरू हुई दाखिला मानदंड अपलोड करने की प्रक्रिया के तहत अब तक लगभग 1700 स्कूलों ने निदेशालय व स्कूल की आधिकारिक वेबसाइट पर अपने दाखिला मानदंड अपलोड कर दिए हैं।
निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि गुरुवार से शुक्रवार शाम तक कुल 1765 में से 1700 निजी स्कूलों ने अपने-अपने दाखिला मानदंड अपलोड कर दिए हैं। यह बड़ी सफलता है। स्कूलों की बात करें तो उनकी ओर से बच्चों को विभिन्न दाखिला मानदंडों के आधार पर अंक दिए जा रहे हैं। अधिकतर स्कूल नेबरहुड (नजदीकी स्कूल), सिबलिंग (भाई-बहन), गर्ल चाइल्ड और अल्युमनी के मानदंड को प्राथमिकता दे रहे हैं।
उम्र में छूट के संबंध में बना असमंजस… प्रवेश स्तर की कक्षाओं में दाखिले की प्रक्रिया शुरू होते ही अभिभावकों में असमंजस बन गया है। दाखिला प्रक्रिया में उम्र में छूट के संबंध में सामने आ रही खबरों के चलते अभिभावकों में असमंजस की स्थिति बनी है। खबर यह आ रही है कि अगर किसी बच्चे की उम्र निर्धारित उम्र से 30 दिन ज्यादा है तो वह दाखिले के लिए मान्य होगा। शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने इस संबंध में आधिकारिक सर्कुलर जारी होने की बात कही है। बता दें कि नर्सरी दाखिले के लिए आवेदन करने वाले बच्चे की उम्र 31 मार्च 2019 तक 4 साल से कम होनी चाहिए।
दर्जनों स्कूलों के भरे फॉर्म… अपने बच्चे को नामचीन व बेहतर स्कूल में पढ़ाने के लिए अधिकतर अभिभावकों ने इस बार दर्जनों स्कूलों के फॉर्म भरे हैं। फॉर्म भरते वक्त अभिभावकों ने काफी सतर्कता बरती है। केवल स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता व उसकी लोकप्रियता को ध्यान में न रखते हुए अभिभावकों ने स्कूलों के मानदंड के अनुसार फॉर्म भरे हैं।
सता रहा डिफॉल्टर घोषित होने का डर… पिछली बार कई स्कूलों ने शिक्षा निदेशालय द्वारा बार-बार कहने के बावजूद दाखिला मानदंड अपलोड नहीं किए थे। इसके चलते दर्जनों स्कूलों को कारण बताओ नोटिस के साथ-साथ डिफॉल्टर घोषित किया गया था। यही कारण है कि स्कूलों को डिफॉल्टर घोषित होने का डर सता रहा है और वे दिशा-निर्देशों के अनुसार चल रहे हैं।
अमान्य मानदंड पर दे रहे प्वाइंट्स…
कई स्कूल ऐसे दाखिला मानदंड को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिन्हें सालों पहले दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा अमान्य करार दिया जा चुका है। उदाहरण के तौर पर कुछ स्कूलों ने ‘अभिभावकों की शिक्षा’ मानदंड पर प्वाइंट्स रखे हैं, जबकि इस मानदंड को ‘भारत एक विकासशील देश है और यहां साक्षरता दर 100% नहीं है। माता-पिता की शिक्षा को महत्व देना उन बच्चों के साथ अन्याय है, जिनके माता-पिता की शैक्षिक पृष्ठभूमि अच्छी नहीं है।
यह असमानता की ओर ले जाता है’ स्पष्टिकरण के साथ अनुचित और गैर-पारदर्शी ठहराया गया है। शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि जो स्कूल दाखिला मानदंड अपलोड नहीं कर रहे हैं या फिर मनमाने तरीके से मानदंड अपलोड कर रहे हैं उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। वहीं जिला उप शिक्षा निदेशकों (डीडीई) को अपलोड किए गए मानदंड को ठीक करवाने के लिए कहा गया है।