नई दिल्ली : राज्यसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पर अपने विचार रखते हुए मंगलवार को सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता विजय गोयल ने कहा कि विधेयक में एमआरपी पर कुछ नहीं कहा गया है, जबकि बाजार में एमआरपी सबसे बड़ी लूट का केंद्र बन रहा है। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा यदि उत्पादों पर अधिकतम खुदरा मूल्य की बजाय न्यूनतम खुदरा मूल्य बताया जाए क्योंकि जो दाम बताए जा रहे हैं वे तीन से चार गुना ज्यादा हैं।
एमआरपी पर कठोर कदम उठाने की मांग करते हुए गोयल ने कहा कि जागो ग्राहक जागो अभियान के तहत एक विज्ञापन में ग्राहकों से एमआरपी से अधिक दाम पर कोई भी उत्पाद न खरीदने की अपील होती है, वहीं दूसरे विज्ञापन में ग्राहकों से एमआरपी पर मोल-भाव करने को कहा जाता है। तीन दशक पुराने विधेयक को हटाकर, उपभोक्ताओं को ज्यादा अधिकार देने हेतु नए बिल लाने पर उन्होंने उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान का धन्यवाद भी किया।
गोयल ने कहा कि सरकार उपभोक्ताओं की भलाई के लिए नए कानून लाए यह अच्छी बात है, लेकिन साथ ही जागरूकता, धर्म और नैतिकता पर भी ध्यान दे। ग्राहकों की जागरूकता पर सरकार हर साल 62 करोड़ रूपये खर्च करती है, लेकिन उससे केवल दो से तीन फीसद लोगों तक ही अपना सन्देश पहुंचा पाती है। उन्होंने सुझाव दिया की अथॉरिटी और काउंसिल के नाम एक जैसे हैं।
इसलिए यदि सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन काउंसिल के काम की प्रकृति को देखकर इसका नाम एडवाइजरी काउंसिल रखा जाता तो ग्राहकों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने में कोई कन्फ्यूजन नहीं होगा। उन्होंने आगे कहा कि ग्राहकों की शिकायतों का निपटान और उनकी जागरूकता पर सरकार को काफी काम करने की जरुरत है। हर साल 1.5 लाख उपभोक्ता फोरम में अपनी शिकायतें दर्ज कराते हैं, और आने वाले समय में यह संख्या बढ़नी ही है। पहले से इन उपभोक्ता फोरम में पांच लाख शिकायतें लंबित हैं।