नई दिल्ली : नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि केजरीवाल सरकार गत चार वर्षों में निजी स्कूलों की फीस को लेकर कानून बनाने में बुरी तरह असफल रही है। सरकार प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधन पर नकेल कसने के लिये कोई भी नीति नहीं लेकर आ सकी है। उन्होंने कहा कि सरकार के लिये इससे ज्यादा शर्म एवं लाचारी की क्या बात होगी कि वह इसे लेकर अपनी पीठ खुद ही थपथपा रही है कि कोर्ट ने 8 अप्रैल तक अभिभावकों से बढ़ी हुई फीस न वसूलने के आदेश दिये हैं।
विजेन्द्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि सरकार स्कूल प्रबंधन से मिली हुई है। उसे अभिभावकों की चिंता से ज्यादा स्कूल प्रबंधन के हित साधने की चिंता हैं। 17 अक्टूबर, 2017 में सरकार ने 15 प्रतिशत तक अंतरिम फीस बढ़ाने की इजाजत दे दी। इसके बाद से स्कूलों में अभिभावकों से जबरन पैसा वसूलना प्रारंभ कर दिया। सरकार घड़ियाली आंसू बहाती रही। 13 अप्रैल, 2018 को सरकार ने आदेश दिये कि प्राइवेट स्कूल बिना उसकी इजाजत के फीस में वृद्धि नहीं कर सकते।
इस वर्ष 15 मार्च को इस आदेश को निरस्त कर दिया गया। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने लगभग 15 दिन अपनी लूट जारी रखी। उन्होंने कहा कि समय-समय पर न्यायालय ने स्कूलों को अधिक फीस वसूलने पर फटकार लगाई है और सरकार को इसके लिये जिम्मेदार ठहराया है। न्यायमूर्ति अनिल देव समिति ने अपनी रिर्पोट में 500 से अधिक स्कूलों की पहचान की और अपनी सिफारिश दी कि उन स्कूलों द्वारा वसूली गई अतिरिक्त फीस 9 प्रतिशत ब्याज सहित अभिभावकों को लौटा दी जाए।