हरिद्वार : गंगा को लेकर सरकारी एक्ट को किसी भी हालत में मंजूर नहीं किया जाएगा। इस एक्ट से गंगा का कोई भला नहीं होगा। सरकारी गंगा एक्ट बनाकर सरकार गंगा के नाम पर दलाली कर धन की बंदरबांट करना चाहती है। जिससे कभी पूरा नहीं होने दिया जाएगा। यह बात गंगा रक्षा को आंदोलन कर रहे जल पुरुष राजेंद्र सिंह, स्वामी शिवानंद सरस्वती और स्वामी सानंद ने मातृसदन में गुरुवार को संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कही। स्वामी सानंद ने पंडित मदन मोहन मालवीय के पौत्र एवं हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे पंडित गिरधारी मालवीय की भूमिका पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा कि मालवीय ने उनके साथ ही 2012 में ड्राफ्ट तैयार करने में अध्यक्षता की गई। अब सरकारी एक्ट बनाने में वह क्यों और कैसे अध्यक्ष बन गए? जबकि 2017 के एक्ट में सरकार की ओर से नियुक्त सेक्रेटरी की ओर से तैयार किए गए ड्राफ्ट पर एक्ट बनाया गया है। जिसमें गंगा को बचाने की जरा भी कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने बताया कि गंगा और नदी विकास मंत्री नितिन गड़करी ने संदेश भिजवाया है कि वह उनकी मांगों लेकर एक कमेटी का गठन कर देंगे, जिसमें वह कुछ सदस्य उनकी मर्जी से भी नियुक्त कर देंगे, लेकिन वह अब किसी भी कमेटी जैसी चीज में विश्वास नहीं रखते हैं।
दो सप्ताह के भीतर कैबिनेट में लाएंगे गंगा एक्ट
अगर कुछ वैज्ञानिक उनके साथ चर्चा करें तो वह तैयार हैं, लेकिन अब तप तब तभी समाप्त होगा जब उनकी मांगे मानी जाएंगी। जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी एक्ट में कोई गुण नहीं, जिससे गंगा बच सके, लेकिन यह जरूर है कि सरकार एक्ट बनाकर गंगा के नाम से दलाली कर वर्ल्ड बैंक से मोटी रकम लेकर बंदरबांट की जा सकती है। स्वामी शिवानंद ने कहा कि सरकार जो एक्ट बना रही है, उसमें सभी अधिकारी सरकारी होंगे, जिससे कोई फायदा नहीं होगा।
– संजय चौहान