बीजेपी सरकार लगातार बेनामी संपति के खिलाफ अपने अभियान को तेज करने में लगी हुई है। इसके तहत अगर आप बेनामी के लेन-देन में संलिप्त पाए जाते हैं तो आपको सात साल की जेल और जुर्माना लग सकता है। आयकर विभाग ने ‘बेनामी लेन-देन से दूर रहें’ शीर्षक से अखबारों में अलर्ट विज्ञापन छपवाया है।
इस अलर्ट को ‘बेनामी लेनदेन से दूर रहें’ शीर्षक के साथ प्रकाशित किया गया है। इसमें कालेधन को इंसानियत के खिलाफ अपराध करार दिया गया है। विभाग ने विज्ञापन में आम लोगों को कालेधन से निपटने में सरकार की मदद करने का आह्ववान किया है।
इनकम टैक्स विभाग के विज्ञापन में कहा गया है, ”बेनामीदार (जिसके नाम पर बेनामी संपति रजिस्टर है), लाभकारी (जिसने इसके लिए कीमत चुकाई है) व ऐसे लोग जो बेनामी लेनदेन करते हैं, उन्हें 7 साल तक की जेल की कड़ी सजा हो सकती है। इसके अलावा उन पर बेनामी संपति की मार्केट वैल्यू के हिसाब से 25 फीसदी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।”
विज्ञापन में बताया गया है कि जो लोग इस एक्ट के तहत गलत जानकारी देंगे उन्हें 5 साल तक जेल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा उन पर बेनामी संपति की मार्केट वैल्यू के हिसाब से 10 फीसदी जुर्माना भी लगेगा। आयकर विभाग ने बताया है कि बेनामी सपंति को सरकार जब्त कर सकती है और सरकार सीज भी कर सकती है।
बता दें कि आयकर विभाग ही बेनामी एक्ट को लागू करने वाला नोडल विभाग है। आयकर आयुक्त केसी घुमारिया ने कहा कि बेनामी संपत्ति रखने वालों की बिहार और झारखंड में सूची नहीं तैयार की गई है, लेकिन इस पर काम चल रहा है।
बेनामी संपत्ति पर बयान देते हुए घुमारिया ने कहा कि बिहार का हर तीसरा आदमी अपने पास बेनामी संपत्ति रखता है, जिसकी जल्दी ही जांच की जाएगी। वहीं, बेनामी संपत्ति पर लगाम कसने के लिए आयकर विभाग लगातार दबिश कर रही है। बता दें कि बिहार झारखंड में 10,000 लोग ऐसे हैं जिनके अकाउंट में नोटबंदी के दौरान 10 लाख से ज्यादा रुपये आए और उन्होंने अबतक रिटर्न फाइल नहीं किया है।
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