कांग्रेस ने शनिवार को मोदी सरकार पर 'वित्तीय घोटाला प्रबंधन' का आरोप लगाया और कहा कि निजी कंपनी आईएलएंडएफएस को उबारने के लिए सरकार जनता के पैसे लगा रही है, जोकि 91,000 करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी हुई है। पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष पसंद वाली परियोजना गांधीनगर का गिफ्टसिटी 'वास्तव में आईएलएंडएफएस को दिया गया गिफ्ट' था और इस मामले में उनकी भूमिका की गंभीरता से जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार 'व्यवस्थित ढंग से' देश के बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र की नींव को ढहा रही है।
उन्होंने कहा, 'वित्तीय घोटाला प्रबंधन श्रंखला की नवीनतम कड़ी में इंफ्रास्ट्रचर लीजिंग एंड फाइनेंशिय सर्विसिस लि. (आईएलएंडएफएस) को बेलआउट (मदद के लिए धन देना) किया जा रहा है, जिसमें 60 फीसदी निजी हिस्सेदारी है और 36 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी संस्थाओं की है और बाकी की 39.43 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बैंकों (पीएसबी) और एलआईसी की है।'वल्लभ ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली सरकार की कार्यप्रणाली लाभ कमा रही सरकारी कंपनियों के धन से कॉरपोरेट कंपनियों को बेलआउट करना है, जिसके जरिए वह करोड़ों भारतीयों की जमा-पूंजी को जोखिम में डाल रही है।
उन्होंने कहा, 'हमने देखा कि जीएसपीसी घोटाले को ढंकने के लिए किस प्रकार से ओएनजीसी का इस्तेमाल किया गया, घाटे में चल रही आईडीबीआई बैंक को उबारने के लिए एलआईसी का इस्तेमाल किया गया और अब 60 फीसदी निजी हिस्सेदारी वाली आईएलएंडएफएस को उबारने के लिए एलआईसी और एसबीआई का इस्तेमाल किया जा रहा है।' वल्लभ ने कहा कि आईएलएंडएफएस पर मोदी सरकार के केवल चार साल के कार्यकाल में भारी-भरकम 42,420 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ा है।