नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में चल रहे दाखिलों को देखते हुए दिल्ली सरकार उस असंवैधानिक प्रावधान को वापिस ले जिसके अंतर्गत ‘अन्य पिछड़े वर्ग‘ (जाट समुदाय) को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की सूची में सम्मिलित होने की पात्रता से वंचित रखा गया है।
उन्होंने कहा कि जाट समुदाय दिल्ली राज्य की सूची में ओबीसी की श्रेणी में सम्मिलित है, लेकिन वह केन्द्रीय आरक्षण सूची में नहीं आता है। दिल्ली सरकार ने केन्द्र सरकार की सूची में अपनी ओर से असंवैधानिक रूप से संशोधन करते हुए अन्य पिछड़े वर्ग (जाट समुदाय) को भी लाभार्थियों की सूची से बाहर रखा है। इस कारण उन्हें दिल्ली सरकार ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट नहीं दे रही है। ऐसा कर उन्हें डीयू में दाखिले से वंचित रखा जा रहा है। गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार का यह कदम असंवैधानिक है। उसे केन्द्र के 103वें संवैधानिक संशोधन में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।
डीयू एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। वह दिल्ली राज्य स्तर के अन्य पिछड़े वर्ग (जाट समुदाय) को दाखिले में मान्यता नहीं देता है। अतः दिल्ली सरकार को उन्हें ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट जारी करना चाहिए जिससे उन्हें दाखिला मिल सके। केन्द्र सरकार ने 31 जनवरी को आय तथा संपत्ति सर्टिफिकेट जारी करने के लिए जो अधिसूचना जारी की थी उसमें यह स्पष्ट रूप में प्रावधान है कि अभ्यार्थी को केन्द्र सरकार की अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग में सम्मिलित नहीं होना चाहिए।
केन्द्र की अधिसूचना में राज्य सूची का कोई प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने चार जून को जो अधिसूचना जारी की उसमें इस आशय की शर्त जोड़ दी कि वह राज्य/केन्द्र शासित क्षेत्र की सूचियों में भी नहीं होना चाहिए।