नई दिल्ली : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने शिक्षक दिवस पर भारत के भविष्य को गढ़ने वाले शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा आयोजित एक शिक्षक सम्मान समारोह में शिक्षकों का सम्मान किया और उपस्थित शिक्षको को संबोधित भी किया। इस अवसर पर तिवारी ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि गेस्ट टीचरों को 60 वर्ष तक रोजगार की गारंटी दी जाए। शिक्षक दिवस पर शिक्षकों का इससे बड़ा और कोई सम्मान नहीं हो सकता।
आज का दिन वर्ष 1962 से देश के दूसरे राष्ट्रपति, महान दार्शनिक और एक शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने राजनीति में आने से पहले जीवन के 40 वर्ष अध्यापन को दिये थे। उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मैं डॉ. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और सभी शिक्षकों को शुभकामनाएं देता हूं। शिक्षक युवा दिमाग को मजबूत मूल्यों के साथ प्रभावित करते हैं और उन्हें उत्सुक होने के लिए प्रेरित करते हैं।
ऐसा कर वे राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्व भूमिका निभाते हैं। शिक्षक वास्तविक कुम्हार की तरह हैं, जो न केवल हमारे जीवन को एक आकार देते हैं, बल्कि दुनिया भर में अंधेरे को दूर करने के बाद हमेशा के लिए एक दीपक की तरह जलने में सक्षम बनाते हैं। एक आदर्श शिक्षक की कल्पना करें, तो वह अनुशासन के साथ जीने का पाठ पढ़ाता है। इसलिए न सिर्फ हमें गुरु की शिक्षा को ग्रहण करना चाहिए वल्कि सद्गुणों को अपने जीवन मे उतार कर जीवन को आदर्श बनाना चाहिए।
‘अध्यापकों की कमी पर श्वेत पत्र लेकर आए सरकार’
विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े दावे करने वाली दिल्ली सरकार से मांग की है कि वह सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की भारी कमी पर श्वेत पत्र लेकर आए। यही उनका वास्तविक सम्मान होगा। इस कमी के चलते स्कूलों में दी जा रही शिक्षा पर अत्याधिक दुष्प्रभाव पड़ रहा है। शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री द्वारा शिक्षकों को पुरस्कार देने से शिक्षा व्यवस्था में कमियों को नहीं ढका जा सकता है।
जनता को सरकारी दावों के पीछे वस्तुस्थिति जानने का अधिकार है। 15,000 करोड़ रुपए वार्षिक खर्च करने का दावा करने वाली और 21,000 कमरों के निर्माण का सपना दिखाने वाली सरकार की शिक्षा व्यवस्था प्रधानाचार्यों व शिक्षकों की कमी से पूरी तरह चरमराई हुई है।
शिक्षकों के रिक्त पद खाली पड़े हैं, प्रधानाचार्यों की कमी के बावजूद भी बड़ी संख्या में उनसे शिक्षा निदेशालय में क्लर्कों व प्रशासनिक पदों पर डायवर्टिट कैपेसिटी में लगा रखा है। ऊर्दू व पंजाबी शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में खाली हैं।