कृषि कानूनों के खिलाफ दो महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली निकाली। किसानों की इस रैली के दौरान दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा हुई। प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर जमकर हुड़दंग किया। वहीं हिंसा के बाद किसान संगठनों के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि उनका इस हिंसा से कोई लेना देना नहीं।
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने हिंसा के अगले दिन कहा, किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश लगातार चल रही थी। हमें डर था कि कोई साजिश कामयाब न हो जाए मगर आखिर में साजिश कामयाब हो गई। लाल किले में बिना किसी सांठगांठ के कोई नहीं पहुंच सकता। इसके लिए किसानों को बदनाम करना ठीक नहीं है।
किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान भड़की हिंसा में 300 पुलिसकर्मी हुए घायल, क्राइम ब्रांच करेगी जांच
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने हिंसा को लेकर पल्ला झाड़ते हुए कहा, सभी ट्रैक्टरों की जिम्मेदारी उनकी है, दिल्ली पुलिस ने तय रूट पर भी बैरिकेड लगाए थे। इसलिए जिन्हें दिल्ली का रूट नहीं पता था, वो किसान गलत तरफ ट्रैक्टर ट्रैक्टर ले गए। लालकिले पर झंडा फहराने में उनका हाथ नहीं है। उन्होंने हिंसा के लिए पंजाबी स्टार दीप सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया है।
किसान संगठनों की केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में मंगलवार को हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी। इस दौरान कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के बैरिगेट्स को तोड़ दिया और पुलिस के साथ झड़प की, वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया था।
इस हिंसा में 300 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। अतिरिक्त पीआरओ (दिल्ली पुलिस) अनिल मित्तल के अनुसार निहंगों की अगुवाई में किसानों ने पुलिस पर हमला किया और पुलिस के बैरिगेट्स को तोड़ दिया। इस मामले में अभी तक 22 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं।