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वायु प्रदूषण फैलाने पर होगी आपराधिक करवाई, संबद्ध एजेंसी की भी तय होगी जवाबदेही : हर्षवर्धन

हर्षवर्धन ने बताया कि हवा की गुणवत्ता को लेकर शनिवार को मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अधिकारियों के साथ अहम बैठक की गई।

दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में हवा की लगातार ख़राब होती गुणवत्ता को ठीक करने के लिए सरकार ने अब सख़्त रूख अपनाते हुए वायु प्रदूषण मानकों का उल्लंघन के मामलों में संबद्ध एजेंसी की भी जवाबदेही तय करते हुये प्रदूषण फैलाने वालों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज करने का फैसला किया है। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शनिवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि हवा की गुणवत्ता को लेकर शनिवार को मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अधिकारियों के साथ अहम बैठक की गयी। इसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पांच शहरों दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में वायु प्रदूषण की स्थिति की समीक्षा में पाया गया कि पड़ोसी चारों शहरों में मानकों का पालन सुनिश्चित कराने में संबद्ध एजेंसियों के लचर रवैये के कारण हालात में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है।

इस कारण संबद्ध एजेंसियों को भी आपराधिक कार्रवाई के दायरे में लाने का सीपीसीबी के निगरानी दलों ने सुझाव देते हुये सख्ती बरतने की पहल की है। डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि इसमें तय किया गया कि पांचों शहरों में वायु प्रदूषण मानकों के पालन की निगरानी के लिये गठित 41 दल मानकों का उल्लंघन करने वालों और संबद्ध एजेंसी के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई शुरु कर सकेंगे।

बैठक में सीपीसीबी के निगरानी दलों के फीडबैक के आधार पर यह पता चला है कि दिल्ली के अलावा एनसीआर के चार शहरों नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, फ़रीदाबाद और गुरुग्राम में पिछले एक महीने में स्थिति को सुधारने के लिए किए गए उपाय नाकाफ़ी साबित हो रहे हैं।

उन्होंने बताया कि आपराधिक कार्रवाई शुरु करने की प्रक्रिया का निर्धारण कर सोमवार को इसकी घोषणा की जायेगी। इसके मसौदे को अंतिम रूप देने के लिये सोमवार को मंत्रालय ने पांचों शहरों की पर्यावरण संबंधी संबद्ध एजेंसियों की बैठक आहूत की है।

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि इस साल दिल्ली के अलावा चारों पड़ोसी शहरों में भी गत 15 सितंबर से 41 निगरानी दलों ने निरीक्षण किया। पिछले लगभग डेढ़ महीने के फीडबैक में पाया गया कि प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ निगरानी दलों द्वारा की गयी शिकायत पर संबद्ध एजेंसियों ने कार्रवाई करने में बहुत सुस्ती एवं लापरवाही बरत रही हैं।

डॉ. हर्षवर्धन ने इसे बेहद दुखद स्थिति बताते हुये कहा कि हालात सुधारने में सभी पक्षों के सकारात्मक सहयोग को सुनिश्चित करने के लिये आगामी एक नवंबर को एनसीआर से संबद्ध पांच राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक भी बुलायी गयी है।

उन्होंने बताया कि बैठक में सीपीसीबी के निगरानी दलों की संख्या 41 से बढ़ाकर 50 करने का फैसला किया गया। इसके अलावा ये दल सप्ताह में दो दिन के बजाय अब कम से कम पाँच दिन इन शहरों में औचक निरीक्षण निरीक्षण करेंगे।

इस दौरान प्रदूषण मानकों का उल्लंघन करने वालों की शिकायत पर संबद्ध एजेंसी द्वारा दो दिन तक माकूल कार्रवाई नहीं होने पर निगरानी दल ‘रेड वार्निंग’ श्रेणी की चेतावनी जारी करेगी। इसके बावजूद अगले दो दिन तक कार्रवाई नहीं होने पर आपराधिक कार्रवाई शुरु की जायेगी। पर्यावरण सचिव सी के मिश्रा ने बताया कि पीएम 10 और पीएम 2.5 का स्तर सितबंर 2017 में 215 और 158 था जो इस साल सितंबर में घटकर 116 और 115 रह गया है।

इसके अलावा पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की शिकायतों में भी कमी आयी है। पंजाब में 2016 में 22259, 2017 में 16265, और 2018 में 7371 शकायतें दर्ज की गयीं। जबकि हरियाणा में 2016 में 4790, 2017 में 4733 और 2018 में अब तक 3022 शिकायतें दर्ज की गयीं। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा ”इन तीन सालों में पीएम तत्वों के स्तर और पराली जलाने की घटनाओं में कमी जरूर आयी है लेकिन हम महज आंकड़ों के आधार पर मौजूदा स्थिति को संतोषजनक नहीं मान सकते हैं।”

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