नई दिल्ली : जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा का मामला पुलिस के लिए सिरदर्द ही बनता नजर आ रहा है। एक तरफ जहां चारों तरफ से पुलिस पर केस को जल्द से जल्द सुलझाने का प्रेशर है, वहीं अभी तक पुलिस इस केस का राजफाश नहीं कर पाई है। पुलिस नकाबपोश हमलावरों के बारे में जानकारी जुटाने में लगी हुई है।
पुलिस का दावा है कई नकाबपोश की पहचान हाे चुकी है, लेकिन उनके खिलाफ अभी प्रर्याप्त सबूत नहीं मिल सके हैं। सूत्रों के मुताबिक शुरुआती जांच में हिंसा के पीछे दोनों ही संगठन के छात्रों का हाथ होना सामने आया है। इसमें कुछ भारी लोग भी शामिल थे। उधर, पुलिस कुछ संदिग्धों की तलाश में भी जुटी है।
सूत्रों का कहना है जेएनयू अध्यक्ष आइशी घोष ने रविवार को हुई हिंसा को लेकर वसंतकुंज नार्थ थाने के पुलिस इंस्पेक्टर और नई दिल्ली रेंज के ज्वाइंट सीपी आनंद मोहन को वाट्सएप मैसेज भेजा था। इस मैसेज में पुलिस को बताया गया था कि कैंपस में बड़ी संख्या में हमलावर घुस आए हैं जो मारपीट कर रहे हैं। उस वक्त पुलिस पहले से ही हाईकोर्ट के आदेश पर कैंपस के अंदर मौजूद थी। ऐसे में वसंतकुंज नार्थ थाना पुलिस की भूमिका को भी चैक किया जा रहा है।
फिर जेएनयू पहुंची क्राइम ब्रांच की टीम
क्राइम ब्रांच की अपील के बावजूद जेएनयू के किसी भी छात्र अध्यापक ने अभी तक कोई डायरेक्ट वीडियो या मोबाइल फुटेज पुलिस को नहीं दी है। हारकर गुरुवार को क्राइम ब्रांच की टीम एक बार फिर जांच के सिलसिले में जेएनयू पहुंची। वहां कुछ छात्रों और शिक्षकों से हिंसा को लेकर बात की गई। इन छात्रों का किसी भी संगठन से कोई लेना देना नहीं है।
उन्हाेंने पुलिस को जानकारी दी कि हमलावर मुंह पर कपड़ा लगाए हुए थे, ऐसा लग रहा था कि वे कैंपस के नहीं थे। पुलिस द्वारा अनुरोध करने के बाद भी वे बयान देने के लिए राजी नहीं हुए। एक तरफ जहां पुलिस खुद छात्रों से संपर्क साध रही है, वहीं छात्र कानून पचड़े में नहीं पड़ना चाहते।