विवादित बयान को लेकर बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट 23 अप्रैल को सुनवाई करेगा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता वृंदा करात ने यह याचिका दायर की। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहुजा ने मामले की सोमवार को सुनवाई करते हुए इसे अप्रैल के लिए स्थगित कर दिया।
उन्होंने कहा कि इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट द्वारा की जा रही है। इसके बाद उन्होंने 23 अप्रैल तक इसे टाल दिया। सुनवाई की पिछली तारीख को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने कहा था कि बीजेपी के इन दोनों सांसदों ने कोई संज्ञेय अपराध नहीं किया गया है।
बीते बुधवार को दर्ज रिपोर्ट में पुलिस ने कहा, “शिकायत में लगाए गए आरोपों के आधार पर उन्हें किसी संज्ञेय अपराध में लिप्त नहीं पाया गया है।” इसके अलावा पुलिस की ओर से कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा का शिकायत में उल्लेखित भाषणों या बयान से कोई संबंध नहीं है।
पुलिस ने मामले में अंतिम एटीआर दर्ज करने के लिए और समय मांगा। पुलिस की ओर से कहा गया, “दिल्ली में ऐसी स्थिति है कि पुलिस व्यस्त है। इसलिए हमें और समय चाहिए।” करात ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को भड़काने सहित अन्य आपराधिक आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की थी।
करात ने अपनी शिकायत में कहा कि इस मामले की निष्पक्ष और उचित जांच होनी चाहिए। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच के साथ ही आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एसएचओ को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है। दिल्ली के रिठाला इलाके में 27 जनवरी को बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने लोकसभा चुनाव के लिए आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए सार्वजनिक मंच पर कथित तौर पर भड़काऊ नारा लगाया था।
उन्होंने कहा था, “देश के गद्दारों को, गोली मारो .. को” इसके अलावा प्रवेश वर्मा ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में 500 से अधिक मस्जिद और कब्रिस्तान सरकारी जमीन पर बने हुए हैं, जिनमें अस्पताल और स्कूल भी शामिल हैं। उन्होंने कहा था कि ये ‘अवैध ढांचे’ जिस जमीन पर बने हैं, वह दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड और कई अन्य सरकारी एजेंसियों से संबंधित हैं।