दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में कड़े आतंकवाद रोधी कानून के तहत गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई गुरुवार को 9 अक्टूबर तक टाल दी। अतिरिक्त सत्र के न्यायाधीश अमिताभ रावत के छुट्टी पर होने के कारण सुनवाई स्थगित की गई है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत के कर्मचारियों ने खालिद के वकीलों को यह जानकारी दी। खालिद सहित कई अन्य लोगों पर आतंकवाद रोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन पर फरवरी 2020 में हुई हिंसा का ‘‘मुख्य षड्यंत्रकर्ता’’ होने का आरोप है।
हिंसा में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे। गत तीन सितंबर को जमानत याचिका पर पिछली सुनवाई में खालिद ने अपने वकील के माध्यम से अदालत से कहा था कि आरोपपत्र में बिना किसी तथ्यात्मक आधार के अतिशयोक्तिपूर्ण आरोप लगाए गए हैं और यह किसी वेब सीरीज और न्यूज चैनलों की पटकथा की तरह है। दिल्ली पुलिस ने इस जमानत याचिका पर आपत्ति जतायी थी। बता दें कि इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट में हुई सुनवाई में अपनी दलीलों को पेश करते हुए उमर खालिद के वकील त्रिदीप पायस ने दिल्ली पुलिस के दावों को खारिज किया।
त्रिदीप पायस ने कहा कि नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ किसी एक कम्युनिटी ने प्रदर्शन नहीं किया था, बल्कि पूरे देश में प्रदर्शन हुए थे। दिल्ली पुलिस ने जो चार्जशीट दायर की है, उसमें किसी क्राइम की बात ही नहीं की गई है। जानकारी के लिए बताते चलें कि दिल्ली पुलिस ने छात्र नेता उमर खालिद को दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया है, उमर खालिद पर यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया था। पिछली सुनवाई में भी दिल्ली पुलिस की चार्जशीट को लेकर वकील की ओर से सवाल खड़े किए गए थे।