नर्सरी एडमिशन को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने आप सरकार से विचार करने को कहा है। याचिका में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर 2021-22 शैक्षणिक सत्र में नर्सरी एडमिशन को टालने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील का बयान दर्ज किया कि नर्सरी एडमिशन के संबंध में किसी भी फैसले के पहले याचिकाकर्ता द्वारा मुहैया कराई गई सूचना या राय पर विचार किया जाएगा।
हाई कोर्ट ने कहा कि उसने याचिका के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है। याचिकाकर्ता सह वकील रजत वत्स द्वारा आदेश पर संतोष जताने के बाद याचिका का निपटारा कर दिया गया। वत्स ने कहा कि उन्होंने पिछले साल 12 दिसंबर को प्राधिकारों के सामने आवेदन दिया था लेकिन उसपर अब तक कोई जवाब नहीं आया है जिसके बाद उन्होंने कोर्ट का रुख किया।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्थायी वकील रमेश सिंह ने कहा कि आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए नर्सरी या प्रवेश स्तर पर एडमिशन के लिए सरकार ने अब तक कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि दिशा-निर्देश जारी हुए बिना ही कुछ निजी स्कूलों ने नर्सरी एडमिशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
याचिका में कहा गया, ‘‘नर्सरी एडमिशन के संबंध में तीन-चार साल के बच्चों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए कुछ निर्देश जारी करना जरूरी है। ऐसा इसलिए कि दिल्ली सरकार बच्चों के हितों पर विचार किए बिना स्कूल प्रबंधनों को वित्तीय फायदा पहुंचाने के लिए प्रत्यक्ष या ऑनलाइन क्लास की अनुमति दे सकती है।’’ याचिका में कहा गया कि नर्सरी शिक्षा का मकसद बच्चों को स्कूल के वातावरण और कक्षाओं से अवगत कराना है और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों या स्कूलों को खोलकर यह उद्देश्य पूरा नहीं होने वाला है।