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केजरीवाल सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट का सुझाव, कोरोना के लिए बढ़ाई जाए RT/PCR जांच

हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति को प्राथमिकता आधार पर एक बैठक बुलाने को कहा, जिसमें यह विचार किया जाए कि किस हद तक आरटी/पीसीआर जांच में वृद्धि की जानी चाहिए।

कोरोना वायरस से जूझ रही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संक्रमण का पता लगाने के लिए हाई कोर्ट ने बुधवार को केजरीवाल सरकार को आरटी/पीसीआर जांच यथासंभव बढ़ाने का सुझाव दिया है। हाई कोर्ट के अनुसार ‘‘रैपिड एंटीजन टेस्ट’’के नतीजे महज 60 प्रतिशत ही सही आए हैं। 
दिल्ली हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति को प्राथमिकता आधार पर एक बैठक बुलाने को कहा, जिसमें यह विचार किया जाए कि किस हद तक आरटी/पीसीआर जांच में वृद्धि की जानी चाहिए। वर्तमान में दिल्ली में आरटी/पीसीआर जांच की मंजूरी प्राप्त क्षमता 14,000 जांच प्रतिदिन है। 
हाई कोर्ट ने कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ने को लेकर चिंता प्रकट की। मंगलवार को 4,500 नए मामले सामने आए थे। न्यायमूर्ति हीमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘‘रैपिड एंटीजन टेस्ट के नतीजे 60 प्रतिशत ही सही आने के चलते (कोविड-19 के) बगैर लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण के बारे में गंभीर संदेह रह जाता है, ऐसे में हमारा यह दृढ़ विचार है कि आरटी/पीसीआर पर आगे बढ़ना चाहिए। ’’ 
पीइ ने कहा, ‘‘हमारे विचार से, दिल्ली सरकार को आरटी/पीसीआर के जरिए जांच बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए ताकि आरटी/पीसीआर के जरिये जांच यथासंभव बढ़ सके।’’ कोर्ट ने दिल्ली सरकार को इस सिलसिले में कमेटी की रिपोर्ट के साथ एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और विषय की अगली सुनवाई 30 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी। 
पीठ ने इस बात का भी जिक्र किया कि दिल्ली सरकार सुनवाई की अगली तारीख से पहले सितंबर में किए गए तीसरे सीरो सर्वे के नतीजे पिछले दो सर्वे की तुलना रिपोर्टों के साथ पेश करे। कोर्ट को यह बताया गया कि दिल्ली में 435 मोहल्ला क्लीनिकों में से 400 संचालित हो रहे हैं और उनमें से 50-60 क्लीनिक ओपीडी सेवा के बाद कोविड-19 की जांच भी कर रहे हैं। 
पीठ ने कहा कि न सिर्फ मोहल्ला क्लीनिक बल्कि सामुदायिक केंद्रों को को जांच सुविधाएं प्रदान करने के काम में लगाया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील सत्यकाम ने अदालत को आश्वस्त किया कि अधिकारी आरटी/पीसीआर के जरिए जांच बढ़ाने पर विचार करेंगे लेकिन उन्होंने रैपिड एंटीजन टेस्ट का यह कहते हुए बचाव किया कि ये शीघ्र नतीजे देते हैं। 
इस पर कोर्ट ने कहा कि रैपिड एंटीजन टेस्ट ज्यादातर गलत नेगेटिव रिपोर्ट देते हैं, फिर सरकार को इसके लिए क्यों इंतजार करना चाहिए, इसके बजाय आरटी/पीसीआर की क्षमता बढ़ानी चाहिए। कोर्ट अधिवक्ता राकेश मल्होत्रा की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। 

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