उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें तमिल भाषा में परीक्षा देने वाले नीट-यूजी 2018 के अभ्यर्थियों को अनुवाद में गलती के कारण 196 कृपांक देने को कहा गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्ष 2019-20 से चिकित्सा संस्थानों के प्रवेश के लिए आयेाजित होने वाली नीट-यूजी (स्नातक) परीक्षा सीबीएसई की जगह नवगठित राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित की जाएगी।
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ द्वारा अपनाया गया तरीका एकतरफा और अनुचित है तथा यह कायम नहीं रह सकता।
हिज्बुल मुजाहिदीन ने श्रीनगर के बीचोबीच लालचौक पर बैठक की तस्वीर जारी
पीठ ने कहा, ‘‘इन कारणों से, हम मद्रास उच्च न्यायालय के दस जुलाई 2018 के इस फैसले को निरस्त करते हैं। हम निर्देश देते हैं कि 2019-20 से नीट-यूजी परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा आयोजित की जाए और प्रश्नपत्र का अनुवाद करने के बाद दो भाषा में परीक्षा आयोजित की जाएगी…’’
पीठ ने कहा कि 196 कृपांक जुड़ने के बाद तमिल भाषा में नीट-यूजी 2018 परीक्षा देने का फैसला करने वाले छात्रो की सूची ‘‘आश्चर्य में डालने वाली’’ है।
सूची के संदर्भ में पीठ ने कहा कि 260 अंक पाने वाले छात्र के कुल अंक 456, 137 अंक वाले छात्रों के 333 अंक जबकि 92 अंक पाने वाले छात्र के 288 अंक हो गये।
नीट-यूजी में बैठने वाले छात्रों की कुल संख्या 13 लाख 23 हजार 672 थी और इसमें से करीब साढे दस लाख ने अंग्रेजी भाषा में परीक्षा थी जबकि करीब 24 हजार उम्मीदवारों ने तमिल भाषा में यह परीक्षा दी थी।
मद्रास उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को अपने आदेश में सीबीएसई को परीक्षा के तमिल संस्करण में 49 प्रश्नों के गलत अनुवाद के लिए हर प्रश्न के लिए चार अंक यानी कुल 196 कृपांक देने का आदेश दिया था।