दिल्ली की केजरीवाल सरकार को दिल्ली के हाई कोर्ट से राहत मिल गई है। आप पार्टी के 20 विधायकों की अपनी सदस्यता रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। इस फैसले में आप के 20 विधायकों को राहत मिल गई है।
हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को पलट दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि विधायकों की याचिका पर फिर से सुनवाई हो। विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी इस मामले में फैसला आने तक उपचुनाव नहीं कराने का आदेश दिया था। फैसला आने के बाद आप विधायक अलका लांबा ने कहा कि ये जनता की जीत है। चुनाव आयोग को फिर से सुनवाई करनी पड़ेगी।
आपको बता दे कि इससे पहले चुनाव आयोग और विधायकों ने इस मामले में 28 फरवरी को अपनी बहस पूरी कर ली थी और जस्टिस चंद्रशेखर व जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
वहीं मामले को लेकर विधायकों ने दलील दी थी कि कथित लाभ के पद को लेकर उन्हें अयोग्य घोषित करने का इलेक्शन कमीशन का फैसला गैरकानूनी है। उनका कहना है कि चुनाव आयोग ने उन्हें उनका पक्ष रखने का मौका नहीं दिया।
जबकि आयोग का कहना है कि उन्होंने विधायकों को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त समय दिया था। बता दें कि 24 फरवरी को दिल्ली हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने मना कर दिया था।
19 फरवरी को चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति कोविंद को विधायकों को आयोग्य घोषित करने की सिफारिश भेजी थी जिस पर राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगा दी थी।
AAP विधायकों को लेकर आज दिल्ली हाईकोर्ट से आने वाला फैसला बेहद महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस फैसले से ही तय होगा कि दिल्ली में उपचुनाव होंगे या नहीं। साथ ही इस फैसले से यह भी तय होगा कि 20 अयोग्य विधायकों को कोर्ट से कोई राहत मिलेगी या नहीं।
बता दे कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाले अविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। उनमें से एक विधायक जरनैल सिंह भी थे जिन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी। बाद में AAP विधायकों ने हाई कोर्ट में दायर की गई अपनी पहली याचिका को वापस लेकर नए सिरे से याचिका डाली और अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को चुनौती दी।
इसके पूर्व 20 विधायकों की अयोग्यता संबंधी मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि ये विधायक लाभ के पद पर रहे हैं। इन्होंने लाभ लिया या नहीं, यह महत्वपूर्ण नहीं है। यह प्रतिक्रिया कोर्ट ने विधायकों की उस दलील पर दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें संसदीय सचिव बनाया गया। उन्होंने कोई लाभ नहीं लिया, इसलिए यह लाभ का पद नहीं है।
वही दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ‘‘ यह सत्य की जीत है।’’
केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘ यह सत्य की जीत है। निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को गलत तरीके से अयोग्य ठहरा दिया गया। उच्च न्यायालय ने दिल्ली के लोगों को न्याय दिया है। यह लोगों की जीत है।’’ दिल्ली के लोगों को बधाई।’’
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी आदेश का स्वागत किया। दिल्ली विधानसभा में सिसोदिया सहित आप के विभिन्न विधायकों ने इस आदेश का मेजें थपथपा कर स्वागत किया। विधायकों ने‘‘ भारत माता की जय’’ के नारे भी लगाए।
गौरतलब है कि जनवरी में AAP विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी इस मामले में फैसला आने तक उपचुनाव नहीं कराने का आदेश दिया था।
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