नई दिल्ली : ऐसा लगता है कि शिक्षा विभाग दिल्ली सरकार की कोशिशों को दरकिनार कर कक्षा में बच्चे और शिक्षक के अनुपात को सुधारने की जगह और बिगाड़ने की दिशा में काम कर रहा है। शायद यही कारण है कि जिस कक्षा में पहले 40 से 50 बच्चे पढ़ रहे थे अब उसमें 70 के करीब बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर होंगे। जी हां, शिक्षा विभाग के एक फरमान के तहत जीटीबी नगर ढका गांव स्थित दो सरकारी स्कूलों का विलय कर दिया गया है, जिससे छात्रों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जहां पहले इन स्कूलों में एक कक्षा में अधिकतम 45 से 50 बच्चे पढ़ते थे, वहीं मंगलवार से स्कूलों को विलय करने के फैसले पर अमल होने से यह संख्या 70 तक पहुंच सकती है।
ऐसे में छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों की समस्या भी बढ़ सकती है। हैरत की बात है कि एक ओर शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन मुहैया करवाने के दावे कर रहा है, वहीं दूसरी ऐसे फैसले लेकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। एक कक्षा में 80 बच्चों को पढ़ाया जाना वाकई में बच्चों व शिक्षकों के लिए मुसीबतों को न्यौता देने के समान है। स्कूलों के विलय को लेकर स्कूली छात्राओं द्वारा बीते हफ्ते स्कूल प्रशासन व शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किए जाने का भी कोई असर नहीं हुआ है। अभिभावकों का कहना है कि यह निर्णय बच्चों के हित में नहीं है।
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