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सीएए के विरोध में निजामुद्दीन पर जमा हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारी

रॉय ने कहा, ‘‘हमारा संविधान कहता है कि नागरिकता का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए इसे अब इससे जोड़ने का कोई सवाल नहीं उठता।’’

जब अन्याय कानून बने, तो विरोध करना हमारा कर्तव्य है’’,इन पंक्तियों वाली तख्ती हाथ में थामे 22 वर्षीय खालिदा बड़ी उत्सुकता से दिल्ली में एक जनसभा में वक्ताओं को सुन रही थी जिसमें विवादित नागरिकता कानून और देश भर एनआरसी को लागू करने के प्रस्ताव के बारे बताया जा रहा था।
खालिदा उन सैकड़ों में शामिल थीं जो रविवार को निजामुद्दीन बस्ती के मुसाफिर खाना पार्क में जमा हुए थे, जहां यह बताया जा रहा था कि नागरिकता (संशोधन) कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का क्या असर पड़ सकता है। 
कॉलेज छात्रा ने बताया, ‘‘हमलोग महात्मा गांधी के पथ का अनुसरण करेंगे। हमलोग कभी हिंसा का इस्तेमाल नहीं करेंगे लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से सीएए और एनआरसी का विरोध करेंगे और नफरत का जवाब प्यार से देंगे।’’
सीएए के बारे में बात करते हुए जेएनयू के पूर्व छात्र और कार्यकर्ता उमर खालिद ने कहा कि सबसे अधिक अहम लड़ाई इस वक्त देश को बचाने की है। खालिद ने कहा, ‘‘भारत की जनता को कोई डरा नहीं सकता है। सड़कों पर उतरने वाले आप सभी लोगों को मैं सलाम करता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अपने ही देश के प्रति हम अपनी वफादारी को कैसे साबित करें? भारतीय मुस्लिम कोई दुर्घटनावश मुस्लिम नहीं हुए हैं बल्कि वे अपनी मर्जी से भारतीय मुस्लिम हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों का ध्यान आर्थिक मुद्दों से हटाने का सरकार का यह प्रयास है। एनआरसी और सीएए भारतीय विरोधी है और हमलोग इसे खारिज करते हैं।’’
 
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि यह कानून ‘‘असंवैधानिक और विभाजनकारी’’ है क्योंकि इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है। अकेले उत्तर प्रदेश में बृहस्पतिवार से सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान हिंसा में 16 लोग मारे गए हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने लोगों को बताया कि ‘‘हमसभी यह जंग (कानून के खिलाफ) लड़ रहे हैं और हम सभी संविधान के योद्धा हैं।’’
हेगड़े ने कहा, ‘‘हमारा संविधान तब तक जिंदा है जब तक हम इसके लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे। हमने कोई सामान्य परिस्थिति में संविधान नहीं लिखा है। यह काफी सोच-विचार के बाद लिखा गया है।’’ हेगड़े ने कहा, ‘‘हमलोग इस कानून का हिंदू या मुस्लिम के तौर पर नहीं बल्कि भारतीय के तौर पर विरोध कर रहे हैं।’’
एक अन्य वरिष्ठ वकील खालिद सैफी ने कहा कि इस देश में पिछले कुछ दिनों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन सबसे अधिक खतरनाक बन गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास बोलने की आजादी है। यह हमारा सबसे मजबूत अधिकार है और यही चीजें इस देश में सबसे मुश्किल बन गई हैं।’’
‘नॉट इन माई नेम’ कार्यक्रम के आयोजकों में से एक राहुल रॉय ने कहा कि यह नागरिकता का सवाल है। रॉय ने कहा, ‘‘हमारा संविधान कहता है कि नागरिकता का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए इसे अब इससे जोड़ने का कोई सवाल नहीं उठता।’’

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