हरिद्वार : नौकरी के नाम पर ठगी करने का एक और मामला हरिद्वार में सामने आया है। यहां एक नटवर लाल उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड का फर्जी एजीएम बनकर बेरोजगारों से ठगी करते हुए पकड़ा गया है। दरअसल, आरोपी ने यूजीएमएनवीएल के इंजीनियर से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से कई लाख रुपए लिए।
लाखों रुपए हजम करने के बाद भी जब अरोपी ने साक्षात्कार के नाम पर दो-दो लाख रुपए की और डिमांड की तो पीड़ितों को शक हुआ। इसके बाद वो सीधे पुलिस चौकी पहुंचे और मामला दर्ज किया। बेरोजगारों से मिली तहरीर के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन की। फर्जी एजीएम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
सप्तऋषि पुलिस चौकी प्रभारी रणवीर सिंह चौहान ने बताया कि फिलहाल पूछताछ अरोपी से पूछताछ कर रही है। ये जानने की कोशिश की जा रही है कि इसने अबतक कितने लोगों से कितने की ठगी की है। अरोपी को जब लगा कि लोग आसानी से उनके जाल पर फंस रहे हैं तो उसने एक और चाल चलते हुए इंजीनियर की नौकरी लगवाने के बहाने 10 हजार रुपए से लेकर 25 हजार रुपए प्रति फार्म वसूले।
इसके बाद जब अरोपी साक्षात्कार के नाम पर दो-दो लाख रुपये मांगने लगा तब शक होने पर कुछ बेरोजगारों ने यूजीएमवीएनएल में संपर्क किया तो पता चला कि अश्वनी नाम का कोई एजीएम विभाग में कार्यरत ही नहीं है और न ही विभाग ने किसी पद पर कोई भर्ती निकाली है। यह सुनते ही उन्होंने फौरन सप्तऋषि पुलिस चौकी प्रभारी रणवीर सिंह चौहान को सूचना दी। शिकायत मिलते ही आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
ऐसे जाल में फंसे बेरोजगार
पूरी घटना उत्तरी हरिद्वार के शांतिकुंज के समीप स्थित संत अनुयायी आश्रम की है। यहां करीब दो महीने पहले अश्वनी नामक एक व्यक्ति खुद को उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड में एजीएम की पहचान बताकर ठहरा हुआ था। इसके बाद अश्वनी ने लोगों से जान-पहचान बढ़ाकर बताया कि वो सरकारी नौकरी लगवाते हैं।
इस जाल में आश्रम के ऋतु शिवानंद फंस गए, उन्होंने बनारस से अपने भतीजे शैलेंद्र को बुलवाया और 1800 रुपए शुल्क के साथ उसका आवेदन फार्म भरवाया। बाद में आश्रम में रहने वाले अन्य लोगों ने भी अपने रिश्तेदार बेरोजगारों को बुलाकर फार्म भरा।