नई दिल्ली : अनाज मंडी स्थित कारखाने में लगी आग से 43 मजदूरों की मौत के बाद ऐसे कारखानों की निगरानी करने वाली सरकारी एजेंसियां अब सवालों के घेरे में हैं। घटना के बाद से ही लगातार इन एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर संदेह जाहिर किया जा रहा है। ऐसे में इलाके में स्थित हर छोटे-बड़े कारोबार पर कठोर कार्रवाई किए जाने की तलवार लटक रही है।
स्थानीय लोगों की चिंता यह है कि कार्रवाई की सूरत में एक साथ 20 हजार से ज्यादा लोगों के रोजगार पर प्रभाव पड़ेगा। अनाज मंडी के संजय गोयल ने बताया कि इलाके में कई घर ऐसे हैं, जहां महिलाएं और घर के सदस्य छोटे स्तर पर सिलाई, कढ़ाई, पेंटिंग, रबर बैंड बनाने, फूल मालाएं, कपड़ों की सिलाई, टोपी और बैग की सिलाई करते हैं। उनके पास महज 2 या 3 मशीनें हैं, जिससे वे अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं।
मोहम्मद आसिफ ने बताया कि कई घरों में कोई काम नहीं होता बल्कि उन खाली जगहों का इस्तेमाल स्टोर के तौर पर करते हैं। माल मंगाकर स्टोर करते हैं और फिर उसकी सप्लाई करते हैं। इन लोगों के पास मजदूरों की टीम नहीं होती और न ही उन्हें बड़े मशीनों की जरूरत पड़ती है।
इलाके में बड़ी मशीनों की इस्तेमाल कर वाले गिनती के कारखाने हैं। विजय कुमार ने बताया कि इलाके में अगर कार्रवाई होती है तो छोटे-मोटे कारोबार करने वाले लोगों पर सबसे बड़ी मार पड़ेगी। कार्रवाई की सूरत में 15 से 20 हजार लोगों का रोजगार छीन जाएगा। इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं। काम बंद होने पर दो जून की रोटी जुटा पाना भी मुश्किल हो जाएगा।
भूखे मरने से तो अच्छा…
स्थानीय लोगों ने अपना दर्द बताते हुए कहा कि जब भूख लगती है तो साहब, आग की तपिश का भी एहसास नहीं होता। घटना के बाद जब हमने लोगों से यह जानने की कोशिश की कि लोग घटना के बाद क्या काम करने के लिए तैयार हैं? इसपर प्रतिक्रिया देते हुए लोगों ने कहा कि बड़ी मुश्किल से काम करके हम लोग अपना पेट पालते हैं साहब।
अपना और परिवार का पेट पालना है हो तो ऐसी आग और ऐसी घटना से कहां डर लगेगा। लोगों ने साफ तौर पर कहा कि वे काम करना चाहते हैं, जीने के लिए कमाना जरूरी है। उन्हें ऐसी घटनाओं से डर नहीं लगता।