नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने आम चुनाव से पूर्व एक बड़े अवैध हथियार तस्कर को गिरफ्तार करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। आरोपी अपने साथ इतने कारतूूसों का जखीरा लेकर आया था कि, जिससे राजधानी दिल्ली और एनसीआर के बदमाश अपना आतंक मचा सकते थे।
क्राइम ब्रांच की टीम ने आरोपी पंजाब निवासी अमरलाल (62) को गिरफ्तार कर उसके पास से .32 बोर और .315 बोर के 2,000 हजार कारतूस बरामद किए हैं। पुलिस की माने तो आरोपी पिछले कई वर्षों से दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर-प्रदेश के बदमाशों को कारतूस सप्लाई कर रहा था। अब आरोपी पश्चिमी उत्तर-प्रदेश की एक पार्टी को सप्लाई देने के लिए आया था। इस पार्टी को वह पिछले कुछ महीनों में 10 हजार से अधिक कारतूस सप्लाई कर चुका है।
सूत्रों की माने तो बदमाश इन कारतूसों का इस्तेमाल आम चुनाव के दौरान शक्ति प्रदर्शन के लिए करने वाले थे। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर दो दिन की पुलिस रिमांड पर लिया है। पुलिस उससे पूछताछ कर आगे की छानबीन कर रही है। डीसीपी क्राइम ब्रांच डॉ. जी. राम गोपाल नाइक ने बताया कि क्राइम ब्रांच ने अवैध हथियार तस्करों के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है। इसी कड़ी में पुलिस ने अमरलाल समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार कर 2,000 कारतूस और 28 पिस्टल बरामद की।
आरोपी अमरलाल बदमाशों को मोटे मुनाफे पर कारतूस सप्लाई करता था। आरोपी के बारे में क्राइम ब्रांच की टीम को गुप्त सूचना मिली थी। जिसके बाद एसीपी पंकज सिंह के नेतृत्व में इंस्पेक्टर विकास राणा की देखरेख में एसआई सुनील ट्योटिया, रविंद्र, एएसआई जयप्रकाश, हेडकांस्टेबल संजीव आदि की टीम ने अमर लाल को सोनिया विहार, पुश्ता रोड के पास से दबोच लिया। वह कार में सवार होकर आया था। कार से पुलिस को 2000 कारतूस और 25 हजार रुपए बरामद हुए। आरोपी ने बताया कि वह पश्चिम उत्तर-प्रदेश की एक पार्टी को कारतूस सप्लाई करने आया था। इस पार्टी को वह अब तक 10 हजार से अधिक कारतूस बेच चुका है।
सेल्समैन बेचने लगा मौत का सामान… आरोपी अमरलाल मूल रूप से अबोहर पंजाब का रहने वाला वह बंदूक की दुकान में सेल्समैन था। इस काम में मुनाफा देख उसने अपनी दुकान खोल ली। मगर नुकसान होने पर अवैध रूप से कारतूसों बेचने का धंधा शुरू कर दिया। पुलिस सूत्रों की माने तो वह पिछले करीब 20 से 25 साल से दिल्ली-एनसीआर के बदमाशों को मौत का सामान बेच रहा है। वह अंबाला से 125-150 रुपये में कारतूस खरीदकर लाता जिसे बदमाशों को 200-250 रुपए में बेच देता था।
आरोपी लोगों को झांसे में लेकर उनके आर्म्स लाइसेंस बनाने का भी धंधा करता। मगर रकम ऐंठने के बाद उन्हें फर्जी लाइसेंस थमा देता था। वह 2002 में सीबीआई द्वारा पकड़ा भी गया। मगर जेल से बाहर आकर फिर अवैध रूप से कारतूस की तस्करी करने लगा। पंजाब पुलिस ने 2011 में उसे फिर गिरफ्तार किया। फरीदकोट पुलिस ने भी अवैध कारतूस बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया। मगर जेल से बाहर आता और फिर इसी धंधे को करने लगता।
इस तरह लेता था कारतूस
पुलिस सूत्रों की माने तो अमरपाल वैध गन हाउस वालों के संपर्क में रहता था। उन्हीं से वह कारतूस खरीदता था। पुलिस के मुताबिक वैध लाइसेंस धारक जो अपने कोटे के कारतूस नहीं खरीदते थे उनके कोटे की कारतूस अवैध रूप से बेच हथियार तस्करों को बेच दी जाती हैं। इस तरह गन हाउस वालों को मोटो मुनाफा होता है।