डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए एक केंद्रीय कानून की मांग को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने आज देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। आईएमए के लगभग 3.5 लाख डॉक्टर्स इस प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं। दिल्ली एम्स के बाहर आज हाथों में पोस्टर लिए हुए डॉक्टर्स का एक समूह प्रदर्शन करते हुए नजर आया।
एम्स के बाहर प्रदर्शन में शामिल हुए IMA के डॉक्टर रंजन शर्मा ने कहा,''सरकार की तरफ से जवाब नहीं आया। अस्पताल को सेफ जोन घोषित करने की मांग 10-12 साल से है।'' आईएमए के अलावा, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया, द एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया, मेडिकल स्टूडेंट्स नेटवर्क, जूनियर डॉक्टर नेटवर्क जैसे कई संगठन विरोध का हिस्सा बने हैं। आईएमए ने विरोध प्रदर्शन का नारा 'सेव द सेविअर्स' रखा गया है।
आईएमए ने एक बयान में कहा, ‘‘डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखकर हम बहुत आहत हैं। यह दिन-ब-दिन हो रहा है। आईएमए हिंसा के खिलाफ कानून के लिए दबाव बना रहा है।’’ 'स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान का निषेध) विधेयक, 2019' गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया था जिसमें ऑन-ड्यूटी डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों पर हमले के लिए 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान था।
मंत्रालय ने कहा था कि उक्त कानून संभव नहीं था क्योंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है। डॉक्टरों के निकाय ने कहा, "पीसीपीएनडीटी अधिनियम और नैदानिक स्थापना अधिनियम जैसे कई केंद्रीय स्वास्थ्य कानून हैं। वर्तमान में, 21 राज्यों में स्थानीय कानून हैं, लेकिन हमें डॉक्टरों को हिंसा से बचाने के लिए एक मजबूत केंद्रीय कानून की आवश्यकता है।"