नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1984 सिख विरोधी दंगों के मामले में 34 लोगों को जमानत दे दी। दरअसल त्रिलोकपुरी क्षेत्र में 84 के दौरान दंगे और आगजनी के लिए दिल्ली हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट ने समवर्ती रूप से 34 लोगों को दोषी माना था और पांच-पांच साल की सजा सुनाई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सिख नेताओं में निराशा है। इनका कहना है कि मामले की पैरवी सही से होती तो शायद ये बाहर नहीं आते।
सिख पीड़ित 34 वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजने में कामयाब हुए थे। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा मामले में दोषी ठहराए गए 15 लोगों को बरी करने के मामले में रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। सरकार द्वारा डाली गई इस रिव्यू पिटीशन का सिख नेताओं ने स्वागत भी किया है।
डीएसजीएमसी ने भी जताया अफसोस… डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने 1984 के त्रिलोकपुरी मामले में बरी हुए 15 व्यक्तियों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा डाली रिव्यू पिटीशन का स्वागत किया है। आज इसी मामले में चार अलग-अलग पिटीशन में 34 लोगों द्वारा पिछले दिनों बरी हुए व्यक्तियों को आधार बनाकर डाली गई रिहाई की अर्जियों को स्वीकार करते हुए इस पर अगली सुनवाई के साथ रिव्यू पिटीशन पर बहस करना स्वीकार कर लिया है।
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि हमें विश्वास है कि जिन लोगों को जमानत मिली है रिव्यू पिटीशन की सुनवाई पर उन्हें दोबारा सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। 84 के कत्लेआम को कभी नहीं भूलाया जा सकता है। इसलिए दिल्ली कमेटी का लीगल सेल केंद्र सरकार के वकीलों से तालमेल बैठा कर हर हालत में इन्हें जेल भेजने का बंदोबस्त करेगा।