नई दिल्ली : सीबीएसई की 10वीं और 12वीं के पेपर लीक हो गए, 16 लाख बच्चों इससे प्रभावित बताए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी केन्द्र सरकार या यूं कहें कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) इस बात की गारंटी नहीं ले रहा है कि आगे पेपर लीक नहीं होगा। सरकार इस मसले पर पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई है। पिछले पांच दिन से छात्र सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार इनसे अलग हट कर सोच रही है। राजनीतिक हलकों में जिस तरह की चर्चा गरम है, उससे साफ है कि पेपर लीक के बाद यह सारी कवायद गुजरात कैडर की आईएएस और सीबीएसई की चेयरमैन अनिता करवाल को बचाने के लिए किया जा रहा है।
वैसे कहा जा रहा है कि इस मामले में इतनी गंभीरता भी पीएम मोदी के सीधे हस्तक्षेप के बाद दिखाई दे रही है, अन्यथा तो इस मामले को ऐसे ही रफा-दफा कर दिया जाता। एमएचआरडी पर एक आरोप और लग रहा है कि इस बार सीबीएसई पेपर का एक ही सेट क्यों तैयार किया गया था, जबकि हमेशा से सीबीएसई पेपर के तीन सेट तैयार होते रहे हैं, मंत्रालय अभी तक इस बात का जवाब नहीं दे पाया है कि इस बार एक ही सेट क्यों तैयार कराया गया। जब मंत्रालय पर पेपर लीक मामले का चौतरफा दवाब पड़ा तो आनन-फानन में शिक्षा सचिव अनिल स्वरुप ने प्रेस कांफ्रेंस कर देश को बताया कि 12वीं के अर्थशास्त्र विषय की परीक्षा जिसे पेपर लीक मामले के सामने आने के बाद रद्द कर दिया गया था, अब 25 अप्रैल को दोबारा होगी।
10वी की परीक्षा कब होगी इसका फैसला 15 दिन बाद लिया जाएगा। लेकिन पत्रकारों के सवालों पर उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पेपर फिर लीक नहीं हो सकता है? प्रेस कांफ्रेंस में शिक्षा सचिव के आने पर भी सवाल उठे, चर्चा इस बात की है कि इस प्रेस कांफ्रेंस में सीबीएसई चेयरमैन को करनी चाहिए थी, लेकिन इसमें शिक्षा सचिव को आगे कर दिया गया। शिक्षा सचिव भी बस परीक्षा की तारीख बताने के बाद पत्रकारों के सवालों में उलझ कर रह गए। रविवार को एक बार फिर से निचले अधिकारी की बलि लेकर बड़े अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
रविवार को सीबीएसई के अधिकारी को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। इससे भी साफ होता है कि पेपर लीक के इस मामले में बड़े अधिकारी को बचाया जा रहा है। इससे पहले केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर यह कह कर अभिभावकों की सहानुभूति लेने की कोशिश कर गए कि वह भी एक अभिभावक हैं और अभिभावकों का दर्द समझते हैं, लेकिन अभी तक इस दर्द का निदान उन्होंने नहीं किया है।
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– सुरेन्द्र पंडित