नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए वर्ष 2020-21 के बजट में कई खुबियां हैं तो कुछ नाकारात्मक पहलू भी हैं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि कर दाता और कंपनियों को परेशान नहीं किया जाएगा, इससे उनमें विश्वास जागेगा। देश में बड़ी संख्या में शिक्षक, पैरामेडिकल स्टाफ, देखभाल करने वालों की जरूरत है। यही नहीं हमारे देश का बहुत बड़ा युवा वर्ग अकुशल है। ऐसे में बजट में शिक्षा के लिए 99,300 करोड़ रुपए और कौशल विकास के लिए 3000 करोड़ रुपये का आवंटन स्वागत योग्य है। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।
बजट उन लोगों के लिए उम्मीदों से कम है जो विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त राजकोषीय प्रोत्साहन की उम्मीद कर रहे थे। वहीं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के लिए बजटीय आवंटन निराशाजनक है। मनरेगा को चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान 71,000 करोड़ से 61,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पीएम-किसान योजना के लिए भी बजट आवंटन में कमी करना दुर्भाग्यपूर्ण है। ये दो योजनाएं छोटे और सीमांत किसानों के लिए आय हस्तांतरण का अच्छा साधन है। भूमिहीन श्रमिक जो अपनी आय का अधिकांश हिस्सा वस्तुओं और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला पर खर्च करते हैं ऐसे समूहों को आय हस्तांतरण की मांग बढ़ा सकता है। अब जबकि बजट पेश किया गया है तो सरकार को विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन पर ध्यान देना चाहिए। अन्यथा देश में व्याप्त मंदी को दूर होने में लंबा समय लगेगा।