संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दूसरे सप्ताह में राज्यसभा में कामकाज 84 प्रतिशत पूरा किया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह राज्यसभा ने कार्यसूची में शामिल 90 प्रतिशत काम पूरा किया था। इस सप्ताह महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर चले नाटकीय घटनाक्रम के कारण संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों के गतिरोध का असर उच्च सदन पर पड़ा। इसकी वजह से दूसरे सप्ताह में कार्यनिष्पादन में गिरावट दर्ज की गयी। इस प्रकार चालू सत्र के शुरुआती दो सप्ताह में काम काज 89 प्रतिशत पूरा हुआ।
राज्यसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि इस सप्ताह दो दिन (बुधवार और शुक्रवार) उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान सभी सवालों के मौखिक जवाब दिये गये। वहीं, शुक्रवार को शून्य काल में सूचीबद्ध सभी विषयों और विशेष उल्लेख के सभी मुद्दों को सदन में पेश किये जाने का भी रिकॉर्ड कायम किया गया। इस उपलब्धि के लिये सदन ने सामूहिक रूप से सभापति एम वेंकैया नायडू की कुशल सदन संचालन के लिये सराहना करते हुये उन्हें बधाई दी।
इस सप्ताह चार कार्यदिवस के दौरान सूचीबद्ध 60 तारांकित प्रश्नों में से 43 प्रश्नों (71.66 प्रतिशत) के संबद्ध मंत्रियों ने मौखिक जवाब दिये, शून्यकाल में सूचीबद्ध 51 और विशेष उल्लेख के 30 विषयों को इस दौरान सदन में उठाया गया। राज्यसभा में कामकाज के साप्ताहिक ब्योरे के मुताबिक उच्च सदन ने इस सत्र में कार्यनिष्पादन के लिए दूसरे सप्ताह के लिये निर्धारित 26 घंटे 29 मिनट समय में से 22 घंटे 15 मिनट काम किया। इस सप्ताह के पहले दिन (सोमवार) महाराष्ट्र के घटनाक्रम को लेकर सदन की बैठक पौने छह घंटे तक स्थगित रही।
पिछले सप्ताह सदन की बैठक 25 घंटे चली थी। उच्च सदन में अल्पकालिक चर्चा के दौरान देश की आर्थिक स्थिति पर साढ़े चार घंटे चर्चा हुयी। नियमानुसार अल्पकालिक चर्चा के लिये ढाई घंटे चर्चा की जा सकती है लेकिन विषय की गंभीरता को देखते हुये नायडू ने इस अवधि को बढ़ाने की अनुमति दी। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत फोन टैपिंग से जुड़े ‘पेगासस स्पाईवेयर’ पर भी चर्चा हुयी।
दूसरे सप्ताह में राज्यसभा से दो महत्वपूर्ण विधेयक, ट्रांसजेंडर (अधिकार संरक्षण) विधेयक और चिटफंड (संशोधन) विधेयक पारित किये गये। साथ ही ई सिगरेट पर प्रतिबंध के लिये जारी किये गये अध्यादेश को कानूनी जामा पहनाने के विषय पर उच्च सदन में चर्चा जारी है।
अगले सप्ताह राज्यसभा में विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) संशोधन विधेयक, दादरा एवं नगर हवेली और दमन दीव के विलय संबंधी विधेयक और दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने के लिये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अनधिकृत कालोनियों के निवासियों के संपत्ति के अधिकार मान्यता) विधेयक पेश किये जा सकते हैं। ये विधेयक लोकसभा से इस सप्ताह पारित हो चुके हैं।