नई दिल्ली : पार्टी के विभिन्न निर्णयों के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस में अंदरुनी रार बढ़ती दिखायी दे रही है। जिसके चलते वरिष्ठ कांग्रेसी नेता न केवल प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और उनके समर्थकों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने लगे हैं बल्कि प्रदेश के तीनों कार्यकारी अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी भी मैदान में खुलकर सामने आ गए हैं। इसके चलते शीला पर हाल-फिलहाल में लिए गए सभी निर्णय वापस लेने का दबाव भी बढ़ने लगा है। शुक्रवार को शीला की अनुपस्थिति के बावजूद प्रदेश कांग्रेस द्वारा उनकी ओर से 14 जिला व 280 ब्लॉक पर्यवेक्षकों की घोषणा पर विवाद शनिवार को और गहरा गया।
पूर्व विधायक नसीब सिंह, हरी शंकर गुप्ता, चौ. मतीन अहमद, सुरेन्द्र कुमार, चौ. ब्रहमपाल, आसिफ मोहम्मद खान, प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी, एआइसीसी सदस्य ओमप्रकाश विधूड़ी और चतर सिंह सहित करीब 24 पार्टी नेता कनाट प्लेस के एक रेस्तरां में एकत्रित हुए। लगभग एक घंटे की इस बैठक में सभी ने एकमत से इसका विरोध जताया कि प्रदेश कांग्रेस में एक के बाद एक ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं जो पार्टी के लिए नुकसानदायक हैं।
चाहे वह लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए कमेटी गठित करने का फैसला हो, 280 ब्लॉक समितियों को भंग करने का फैसला हो और चाहे अब 14 जिला एवं 280 ब्लॉक पर्यवेक्षकों की घोषणा का मामला हो। इन नेताओं का कहना था कि शीला दीक्षित पिछले 10 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। बावजूद इसके उनकी अनुपस्थिति में भी ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं। इस बैठक के बाद इनमें से करीब आधे नेता प्रदेश प्रभारी पीसी चाको से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। उन्होंने चाको को एक ज्ञापन देते हुए प्रदेश की स्थिति पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया।
तीनों कार्यकारी अध्यक्षों का शीला को पत्र
तीनों कार्यकारी अध्यक्षों हारुन यूसुफ, देवेंद्र यादव और राजेश लिलोठिया की ओर से शीला दीक्षित काे एक हस्ताक्षर युक्त पत्र लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि प्रदेश के लिए एक अध्यक्ष और तीनों कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति स्वयं एआईसीसी ने की है। बावजूद इसके पार्टी के निर्णयों में उन्हें ही भरोसे में नहीं लिया जा रहा है।
पत्र में यह भी कहा गया है कि एक ओर प्रदेश अध्यक्ष शुक्रवार शाम इन्हीं मुददों को सुलझाने के लिए कार्यकारी अध्यक्षों की बैठक बुलाती हैं तो दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस फिर से ब्लॉक और जिला पर्यवेक्षकों की घोषणा का नया धमाका कर देती है, यह सब अस्वीकार नहीं है।
चाको ने भी शीला को लिखा पत्र
सारी स्थितियों के मददेनजर चाको ने शीला के नाम फिर एक पत्र लिखा। इस पत्र में चाको ने शीला को अपने 29 जून और एक जुलाई को लिखे हुए पूर्व पत्रों की याद दिलाते हुए कहा है कि वह इन सभी फैसलों को रदद करें। उनके जैसे वरिष्ठ नेता के होते हुए प्रदेश कांग्रेस में कुछ अनधिकृत लोग विरोधाभासी निर्णय ले रहे हैं जो पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।