नई दिल्ली: पिछले 15 वर्षों से भारत विश्व में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बना हुआ है। 1960 के दशक में करीब 17-22 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था, वह बढ़कर वर्ष 2016-17में 163.7 मिलियन टन हो गया है। केन्द्र सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के दो आधार रखे गए है। इसमें एक दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढ़ाकर दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी कर आय में वृद्धि कराना एवं दूसरा डेयरी किसानों को दी जाने वाली प्रति किलो दूध की मूल कीमत में वृद्धि कराना है। गुरुवार को केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि आज भारत विश्व में उस पटल पर पहुंच गया है जहां दुग्ध व्यवसाय में वैश्विक स्तर पर उद्यमियों के लिए अनेक संभावनाएं उभर कर सामने आ रही है।
कृषि मंत्री ने यह बातें गुरूवार को पार्लियामेंट हाउस एनेक्सी (पीएचए) में आयोजित डेयरी विकास पर परामर्श के लिए गठित समिति की बैठक में कही। कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले 15 वर्षों से भारत विश्व में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बनाहुआ है। इस उपलब्धि का श्रेय दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढाने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई अनेक योजनाओं को जाता है। जहां 1960 के दशक में करीब 17-22 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था,वह बढ़कर वर्ष 2016-17 में 163.7 मिलियन टन हो गया है। विशेषकर 2013-14 की तुलना में 2016-17 की अवधि में 19 फीसदी की वृद्धि हुई है।
इसी तरहप्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2013-14 में 307 ग्राम से बढ़कर वर्ष 2016-17 में351 ग्राम हो गई है जोकि 14.3 फीसदी की वृद्धि है। इसी प्रकार 2011-14 की तुलना में 2014-17 में डेयरी किसानों की आय में 23.77 फीसदी प्रतिशत की वृद्धि हुई। गत 3 वर्षों में प्रति वर्ष 5.53 फीसदी की दर से दूध उत्पादन बढकर विश्व में दुग्ध उत्पादन की वार्षिक दर से आगे निकल गया है जहां दुग्धविकास की दर 2.09 फीसदी रही है। राधा मोहन सिंह ने कहा कि दुग्ध किसान की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से तथा श्वेत क्रांति के पूर्व प्रयासों को तीव्र गति से आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वकांक्षी योजना वर्ष 2017-18 से प्रारंभ की गयी है।
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