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भारतीय व विदेशी संस्थान जल्द ही संयुक्त डिग्री की पेशकश कर सकेंगे : UGC अध्यक्ष

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि भारतीय और विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान जल्द ही संयुक्त या दोहरी डिग्री और जुड़वां कार्यक्रमों की पेशकश कर सकते हैं क्योंकि यूजीसी ने इन कार्यक्रमों के लिए नियमों को मंजूरी दे दी है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि भारतीय और विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान जल्द ही संयुक्त या दोहरी डिग्री और जुड़वां कार्यक्रमों की पेशकश कर सकते हैं क्योंकि यूजीसी ने इन कार्यक्रमों के लिए नियमों को मंजूरी दे दी है।
यह फैसला मंगलवार को उच्च शिक्षा नियामक की एक बैठक में किया गया।
कुमार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 3.01 के न्यूनतम स्कोर के साथ राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) द्वारा मान्यता प्राप्त कोई भी भारतीय संस्थान या राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) की विश्वविद्यालय श्रेणी में शीर्ष 100 में शामिल या उत्कृष्ट संस्थान किसी भी ऐसे विदेशी संस्थान के साथ सहयोग कर सकता है जो टाइम्स उच्च शिक्षा या ‘क्यूएस’ विश्व रैंकिंग के शीर्ष 500 संस्थानों में शामिल हो।
उन्होंने कहा कि इसके लिए यूजीसी से पूर्व मंजूरी नहीं लेनी होगी तथा इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को विदेशी संस्थान से 30 प्रतिशत से अधिक ‘क्रेडिट’ प्राप्त करना होगा।
कुमार ने कहा कि हालांकि, नियम ऑनलाइन और मुक्त तथा दूरस्थ शिक्षा माध्यम के तहत आने वाले कार्यक्रमों पर लागू नहीं होंगे।
कुमार ने हालांकि स्पष्ट किया कि इन नियमों के तहत किसी विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान और भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान के बीच किसी भी प्रकार की ‘फ्रेंचाइजी’ व्यवस्था या अध्ययन केंद्र की अनुमति नहीं दी जाएगी।
अनुमोदित नियमों के अनुसार, कोई ‘जुड़वां कार्यक्रम’ एक सहयोगात्मक व्यवस्था होगी जिसके तहत भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान में नामांकित छात्र भारत में आंशिक रूप से, प्रासंगिक यूजीसी नियमों का पालन करते हुए, और आंशिक रूप से एक विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान में अध्ययन के अपने कार्यक्रम कर सकते हैं।
कुमार ने कहा, ‘‘इस तरह के जुड़वां कार्यक्रमों के तहत दी जाने वाली डिग्री भारतीय संस्थान द्वारा प्रदान की जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि एक ‘‘संयुक्त डिग्री कार्यक्रम’’ के लिए पाठ्यक्रम भारतीय और विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाएगा और कार्यक्रम के पूरा होने पर दोनों संस्थानों द्वारा एक ही प्रमाणपत्र के साथ डिग्री प्रदान की जाएगी।
कुमार ने कहा कि एक ‘दोहरा डिग्री कार्यक्रम’ भारतीय और विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा समान संकाय और विषय क्षेत्रों और समान स्तर पर संयुक्त रूप से डिजाइन और पेश किया जाने वाला कार्यक्रम होगा।
भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान तकनीकी, चिकित्सा, कानूनी, कृषि और ऐसे अन्य व्यावसायिक कार्यक्रमों में सहयोग करने से पहले संबंधित सांविधिक परिषदों और निकायों से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करेंगे।
कुमार ने कहा, ‘इन विनियमों के तहत प्रदान की गई डिग्री भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली किसी भी संबंधित डिग्री के बराबर होगी। किसी भी प्राधिकरण से समकक्षता प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी और डिग्री के मामले में प्राप्त होने वाले वे सभी लाभ, अधिकार और विशेषाधिकार होंगे जो आम तौर पर किसी भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली डिग्री के मामले में होते हैं।’
”जुड़वां, संयुक्त डिग्री और दोहरी डिग्री कार्यक्रम विनियम, 2022 की पेशकश करने के लिए भारतीय और विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग” के अनुसार, जिसे यूजीसी आने वाले सप्ताह में अधिसूचित कर सकता है, छात्रों को दोहरी डिग्री के लिए भारतीय संस्थान से ‘कुल क्रेडिट’ का कम से कम 30 प्रतिशत अर्जित करना होगा।
भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान तकनीकी, चिकित्सा, कानूनी, कृषि और ऐसे अन्य व्यावसायिक कार्यक्रमों में सहयोग करने से पहले संबंधित वैधानिक परिषदों और निकायों से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करेंगे।
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि नये नियम भारतीय छात्रों को भारत में ही एक सहयोगी तंत्र के माध्यम से ”उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा” तक पहुंच प्रदान करेंगे।
उन्होंने कहा, ”यह छात्रों के भारत में रहते हुए ही हमारी उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीयकरण की ओर ले जाएगा। यह हमारे छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक पाठ्यक्रम के माध्यम से बहु-विषयक शिक्षा प्राप्त करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा। इससे उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।”
कुमार ने कहा कि इससे भारत आकर पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्र भी भारत, भारतीय संस्कृति, भारतीय समाज के बारे में और अधिक जानेंगे और इससे देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है।
कुमार के मुताबिक, कम से कम चार करोड़ विदेशी छात्र भारत में पढ़ते हैं और यह संख्या बढ़कर 10 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।

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