हरिद्वार में गंगा नदी की अविरल और निर्मलता के लिए 113 दिन तक उपवास करने वाले प्रो. जी.डी. अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद की मृत्यु को संदेहास्पद बताते हुए उनके समर्थकों ने मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की है। जल-जन जोड़ो द्वारा भोपाल में जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में सोमवार को स्वामी सानंद को श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सार्वजनिक करने और मौत की जांच कराने की मांग की गई।
स्वामी सानंद के गुरु स्वामी अभिमुक्तेश्वरानंद द्वारा की गई सीबीआई जांच की मांग को दोहराते हुए ‘जलपुरुष’ डॉ़ राजेंद्र सिह ने कहा कि स्वामी सानंद ने अपनी आकस्मिक मृत्यु से पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उमा भारती द्वारा गंगा को लेकर किए गए वादे भूल जाने पर आपत्ति दर्ज कराई थी और दोनों मंत्रियों पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था।
राजेंद्र सिंह ने कहा कि स्वामी सानंद गंगा नदी की निर्मलता व अविरलता चाहते थे, उनकी इच्छा पूरी करने के लिए गोमुख से लेकर हरिद्वार तक अलकनंदा और मंदाकिनी के निर्बाध प्रवाह में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। गंगा के किनारे खनन पूर्णत: प्रतिबंधित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वामी सानंद के गंगा सत्याग्रह के आंदोलन को आगे ले जाया जाएगा। 23 अक्टूबर को दिल्ली के राजघाट से गंगा सद्भावना यात्रा शुरू होगी, यह यात्रा एक माह में बनारस पहुंचेगी।
यह यात्रा 30 शहरों से गुजरेगी। 23 नवंबर को यह यात्रा बनारस पहुंचेगी, जहां धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने स्वामी सानंद को गंगा का सच्च भक्त बताया। सामाजिक कार्यकर्ता रामाीरज भाई ने कहा कि एम्स-ऋषिकेश में भर्ती संत गोपाल दास के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है, सरकार आंदोलन को कुचलना चाहती है। सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद भाई ने कहा कि पर्यावरणीय प्रवाह सुनिश्चित नहीं होगा, तब तक गंगा की अविरलता और निर्मलता सुनिश्चित नहीं होगी।