नई दिल्ली : 2019 के चुनाव के दौरान खूब चर्चित रही फिल्म ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ की तरह ‘मेकिंग ऑफ मोदी’ जैसी कोई डॉक्युमेंट्री बने तो संभव है कि उसमें पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बराबर ही स्क्रीन स्पेस मिले। क्योंकि ‘मोदी’ को ‘प्रधानमंत्री’ बनाने वालों में अरुण जेटली नाम टॉप-टेन की लिस्ट में पहले पायदान पर आता है।
इसीलिए अगर सिल्वर स्क्रीन पर मोदी की ‘रील लाइफ’ को ओमंग कुमार ने निर्देशित किया है तो ‘रीयल लाइफ’ में अरुण जेटली ने मोदी को महानपुरुष के रूप में दुनिया के सामने लाकर हीरो बनाया। वह उनके हर एक फैसले के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। अरुण जेटली की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहमदाबाद गुजरात से दिल्ली तक आने में अहम भूमिका रही। वह मोदी के ऐसे सारथी थे, जिसने हर सुख-दुख में उनका साथ दिया है।
हर सांस पार्टी के लिए थी समर्पित…
वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता बताते हैं कि अरुण जेटली की हर सांस पार्टी के लिए समर्पित थी। जब भी पार्टी दो लाग साथ होते तो पार्टी और कार्यकर्ताओं के लिए ही बात करते। सन् 2014 के आम चुनाव में भाजपा से बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सामने लाने में जहां राजनाथ फ्रंट पर थे, वहीं अरुण जेटली पीछे से नरेंद्र मोदी के नाम पर सभी की सहमती के लिए काम कर रहे थे।
विपक्ष में भी अहम भूमिका
वर्ष 2009-2014 तक पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखा। कैबिनेट में भी अरुण जेटली अगर फ्रंट सीट पर बैठे या अक्सर फाइटर पायलट की भूमिका में देखे जाते रहे। सुषमा स्वराज बैक सीट पर बैठे मोदी सरकार का मददगार और मानवीय पक्ष लोगों के बीच लाती रहीं।
2014 से पहले पांच साल तक दिल्ली में बीजेपी को प्रासंगिक बनाए रखने में जो दो नेता अग्रणी भूमिका में रहे वे अरुण जेटली और सुषमा स्वराज ही थे। अरुण जेटली राज्य सभा में तो सुषमा स्वराज लोक सभा में बड़ी ही मजबूती के यूपीए-2 सरकार का सामना किया।