नयी दिल्ली : किडनी की समस्या से जूझ रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली की आज एम्स में डायलिसिस हुई और कुछ घंटे तक निगरानी में रखने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। जेटली के परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि 65 वर्षीय केंद्रीय मंत्री का कोई प्रतिरोपण नहीं किया गया और उन्हें डॉक्टरों ने सलाह दी है कि वह डायलिसिस और दवाओं से बेहतर हो सकते हैं। उन्हें शुक्रवार शाम को एम्स में भर्ती कराया गया था। डायलिसिस के लिए ले जाने से पहले डॉक्टरों ने जेटली को दो दिन तक निगरानी में रखा। उन्होंने यह देखने के लिए कुछ वक्त इंतजार करने का फैसला किया है कि किडनी प्रतिरोपण सर्जरी जरूरी है या नहीं। संक्रमण के जोखिम की वजह से जेटली को नियंत्रित माहौल में रखा जाएगा।
यह अभी स्पष्ट नहीं है कि जेटली दफ्तर जाना कब शुरू करेंगे। वह पिछले सोमवार से दफ्तर नहीं आ रहे हैं। वह राज्यसभा में पुनर्निर्वाचित होने के बाद शपथ भी नहीं ले सके हैं। हालांकि एम्स के सूत्रों ने कहा कि वह निगरानी में हैं और जल्द उनका किडनी प्रतिरोपण हो सकता है। 65 वर्षीय जेटली की पिछले कुछ दिन में कई मेडिकल जांच की गयीं। जेटली को डायबिटीज की समस्या है और वह किडनी संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं। वह अपोलो अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ संदीप गुलेरिया की देखरेख में हैं जो एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के भाई हैं। रणदीप गुलेरिया और जेटली पारिवारिक मित्र हैं।
जेटली ने 10वें भारत-ब्रिटेन आर्थिक और वित्तीय संवाद में शामिल होने के लिए लंदन जाने का अपना कार्यक्रम निरस्त कर दिया था। उन्होंने गुरूवार को ट्वीट कर अपनी बीमारी की पुष्टि की थी। उन्होंने ट्वीट किया था, ‘‘किडनी संबंधी समस्याओं और कुछ संक्रमणों के लिए मेरा इलाज चल रहा है।’’ जेटली ने बीमारी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन बताया था कि वह फिलहाल घर में नियंत्रित वातावरण में काम कर रहे हैं। लंबे समय से डायबिटीज की समस्या के चलते बढ़ रहे वजन की वजह से सितंबर 2014 में जेटली ने बेरियाट्रिक सर्जरी कराई थी। पहले यह सर्जरी मैक्स अस्पताल में की गयी थी लेकिन उन्हें बाद में जटिलताओं की वजह से एम्स में भर्ती कराया गया था। कई साल पहले जेटली की हार्ट सर्जरी भी की जा चुकी है।
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