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जामिया हिंसा केस : शरजील इमाम की वैधानिक जमानत की अर्जी कोर्ट ने खारिज की

दिल्ली की एक अदालत ने 90 दिनों की निर्धारित वैधानिक अवधि के दौरान जांच नहीं पूरी होने के आधार पर जमानत की मांग कर रहे सीएए विरोधी कार्यकर्ता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम का आवेदन सोमवार को खारिज कर दिया। उस पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है

नए नागरिकता संशोधित कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम की दिल्ली की एक अदालत ने वैधानिक जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया है। दिल्ली की एक अदालत ने 90 दिनों की निर्धारित वैधानिक अवधि के दौरान जांच नहीं पूरी होने के आधार पर जमानत की मांग कर रहे सीएए विरोधी कार्यकर्ता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम का आवेदन सोमवार को खारिज कर दिया। उस पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है।
इमाम को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप पिछले साल दिसंबर में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन से जुड़े एक मामले में 28 जनवरी को बिहार से गिरफ्तार किया गया था। 90 दिन की वैधानिक अवधि 27 अप्रैल को पूरी हो गयी। अपने आवेदन में उसने दलील दी है कि निचली अदालत द्वारा 25 अप्रैल को इस मामले की जांच की अवधि और 90 दिनों के लिए बढ़ाया जाना कानून सम्मत नहीं है। इस दलील को खारिज करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने कहा कि जांच की अवधि बढ़ाने का आदेश 90 दिनों के वैधानिक समय के समापन से पहले ही दिया गया।
अदालत ने कहा, ‘‘चूंकि जांच को पूरा करने की समय-सीमा पहले ही यूएपीए की धारा 43 डी (2) के तहत बढ़ा दी गई है, इसलिए मेरा सुविचारित मत है कि वैधानिक जमानत पर आरोपी को रिहा करने के आवेदन में दम नहीं है, इसलिए उसे खारिज किया जाता है।’’ इस धारा के तहत यदि जांच 90 दिनों में पूरा करना संभव नहीं होता है तो लोक अभियोजक की रिपोर्ट से पूरी तरह संतुष्ट होकर अदालत जांच की अवधि 180 दिनों तक के लिए बढ़ा सकती है। रिपोर्ट में जांच में प्रगति का संकेत तथा आरोपी को 90 दिनों के बाद भी हिरासत में रखने के खास कारण अवश्य बताए जाने चाहिये।
इमाम असम पुलिस द्वारा दर्ज किये गये यूएपीए से जुड़े मामले में गुवाहाटी जेल में है। निचली अदालत ने 25 अप्रैल को जांच एजेंसी को इस मामले की जांच पूरी करने के लिए और 90 दिनों का वक्त दिया था क्योंकि पुलिस ने कहा था कि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन से जांच की गति गंभीर रूप से बाधित हुई है। इमाम को 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। वह शाहीनबाग में प्रदर्शन के आयोजन में शामिल था।, लेकिन वह तब सुर्खियों में आया था जब एक वीडियो में वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक सभा में विवादास्पद टिप्पणी करते हुए देखा गया। उसके बाद उस पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया।

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