देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने यहां पिछले साल 15 दिसंबर को सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान कथित रूप से दंगा करने और भीड़ को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए स्थानीय नेता आशु खान की अंतरिम जमानत की अवधि शनिवार को 45 दिन के लिए बढ़ा दी।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश विपिन कुमार राय ने जामिया नगर और न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी में हिंसक प्रदर्शनों से जुड़े दो मामलों में खान को दो लाख रुपए की जमानत राशि जमा करने पर अंतरिम राहत दिए जाने को मंजूरी दे दी। कोर्ट ने खान को सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने या उसकी अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जाने का भी आदेश दिया।
इससे पहले खान को अप्रैल में मामले में अंतरिम जमानत दी गई थी। कोर्ट ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति के इस फैसले को संज्ञान में लिया कि कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर जेलों में भीड़ कम करने के लिए उन विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए, जिनका अपराध साबित होने पर उन्हें 10 साल तक की सजा मिल सकती है।
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खान की पैरवी कर रहे वकील असगर खान और ताहिर खान ने कोर्ट से कहा कि उनके मुवक्किल को मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर उन्हें आंतरिक जमानत दी जानी चाहिए। स्थानीय नेता की ओर से पेश हुए वकील तारिक नासिर ने कहा कि खान संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की आलोचना कर रहे थे और अपने मौलिक अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल 15 दिसंबर को जामिया के निकट सीएए विरोधी प्रदर्शन हिंसक हो गया था। प्रदर्शनकारियों ने कथित रूप से पुलिस पर पथराव किया था और सार्वजनिक बसों एवं निजी वाहनों को आग लगा दी थी। इसके बाद पुलिस ने जामिया में घुसकर कर कथित रूप से आंसू गैस के गोले छोड़े थे और छात्रों पर लाठीचार्ज किया था।