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CAA के खिलाफ जामिया व डीयू के प्रोफेसर उतरे सड़कों पर

रुक-रुक कर हुई बारिश व सर्द हवाओं के बीच बुधवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के सैकड़ों प्रोफेसर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे।

रुक-रुक कर हुई बारिश व सर्द हवाओं के बीच बुधवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के सैकड़ों प्रोफेसर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे। इन प्रोफेसरों ने जामिया विश्वविद्यालय के बाहर धरना दिया और सीएए पर बारी-बारी से अपनी राय प्रदर्शनकारियों के साथ साझा की। 
जामिया टीचर्स एसोसिएशन के सचिव माजिद जमील ने कहा, ये बहुत खौफनाक मंजर है। जहां एक ओर छात्र हिंसा की जद में हैं, वहीं दूसरी तरफ गरीब भी सरकार के निशाने पर हैं। वे कागजात कहां से जुटा पाएंगे और आखिरकार देश से बहार कर दिए जाएंगे। हम सभी आज यहां शपथ लें कि हम अंत तक अन्याय के विरुद्ध लड़ते रहेंगे। 
उन्होंने कहा कि ये विरोध प्रदर्शन अब केवल जामिया या शाहीनबाग तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि देश के कोने-कोने में पहुंच गया है। जमील ने भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी के उस बयान की भी कड़ी निंदा की, जिसमें मीनाक्षी ने जामिया के छात्रों को हिंसा में लिप्त बताया था। 
उन्होंने कहा, अगर वो इस बारे में जानती हैं तो मुझे एक भी जामिया छात्र का नाम बताएं जो हिंसा में पकड़ा गया हो। दिल्ली की सांसद होकर गैरजिम्मेदाराना बयान देना उन्हें शोभा नहीं देता। उन्होंने आगे कहा, जामिया के छात्र परीक्षाओं में शामिल होना और विरोध प्रदर्शन, दोनों साथ-साथ जारी रखेंगे, क्योंकि वे सरकार को दिखाना चाहते हैं कि हम जामिया के छात्र संविधान के रक्षक हैं। 
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार संविधान के मूलभूत अधिकारों का हनन कर रही है। जामिया के ही प्रोफेसर एस.एम. अ़ख्तर ने बुधवार को बुलाए गए भारत बंद को सफल बनाने में योगदान देने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को सलाम पेश किया। वहीं, प्रोफेसर मनीषा शेट्टी ने कहा, हम दिल्ली पुलिस और सरकार के खिलाफ लड़ते रहेंगे। 
विरोध दर्ज कराने के लिए हम कलात्मक और शांतिपूर्ण प्रयत्न करते रहेंगे। इस बीच, वामपंथी नेता कविता कृष्णन भी जामिया पहुंचीं। उन्होंने कहा, आप सब यहां इकट्ठा होकर एक बड़ी विजय पहले ही प्राप्त कर चुके हैं। कुछ महीने पहले यह किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि देश की जनता सरकार के खिलाफ इतनी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आएगी। 
कविता ने कहा कि सरकार को यह तय करने का कोई अधिकार नहीं है कि कौन देश का नागरिक है और कौन नहीं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस समय जामिया विरोध का केंद्र है और आने वाले कल में पूरा देश जामिया होगा। 
उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, सरकार हमें हिंदू-मुस्लिम के आधार पर बांटना चाहती है, मगर वो इसमें सफल नहीं होगी, क्योंकि हमारा संविधान इसकी इजाजत नहीं देता। सरकार संविधान के खिलाफ कानून बनाकर पूरे देश को डिटेंशन कैम्प बनाने में तुली हुई है। लोग सरकार की मंशा को अच्छी तरह समझ रहे हैं, इसलिए इसके खिलाफ देशभर में उबाल है।

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