नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रावास की फीस बढ़ोतरी को लेकर विद्यार्थियों का प्रदर्शन जारी है। अब जेएनयू विद्यार्थियों के समर्थन में डॉक्टर्स, वैज्ञानिक और दिल्ली के आम लोग भी शामिल हो गए हैं। इसी क्रम में शनिवार को दिल्ली सिटीजन्स के साथ विभिन्न छात्र संगठनों के कार्यकर्ता, शिक्षक, पूर्व छात्र, नागरिक समाज के सदस्य और राजनेताओं ने मंडी हाउस से संसद मार्ग तक मार्च निकाला।
सुबह करीब 11.30 बजे मंडी हाउस पर सैंकड़ों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए और करीब 12 बजे यहां से फीस वृद्धि, जेएनयू प्रशासन और केंद्र सरकार के खिलाफ हाथों में तख्तियां, बैनर और डफली बजाकर नारेबाजी करते हुए संसद मार्ग तक गए। इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन से फीस वृद्धि वापस लेने और सरकार से सभी के लिए शिक्षा सस्ती करने की मांग करते हुए नारे भी लगाए गए।
प्रदर्शन के दौरान आईसा, एसएफआई, एनएसयूआई, छात्र आरजेडी, सीपीआई (एम), सीपीआई, सीआईटीयू, एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स, जामिया, अंबेडकर यूनिवर्सिटी आदि के विद्यार्थी शामिल रहे। मार्च के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था।
जेएनयू को एम्स डॉक्टर्स का मिला साथ…
जेएनयू के छात्र पिछले कई दिनों से फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय से एम्स को मिले पत्र ने आग में घी डालने का काम किया है। मंत्रालय ने देशभर के सभी एम्स को पत्र जारी कर कहा है कि वह फीस बढ़ोतरी और मरीजों से ली जाने वाले शुल्क का रिव्यू करें। ऐसे में एम्स के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। शनिवार को एम्स के छात्रों ने न सिर्फ मंडी हाउस से संसद मार्ग तक पैदल मार्च निकाला बल्कि जेएनयू के छात्रों का समर्थन कर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
बता दें कि जेएनयू की तरह ही देशभर के एम्स में स्टूडेंट ट्यूशन फीस और यूजर्स फीस (मरीजों से लिए जाने वाले पैसे) रिव्यू करने को लेकर पत्र जारी किया गया है जिसका डॉक्टर्स व स्टूडेंट्स विरोध कर रहे हैं। मार्च को लेकर प्रोग्रेसिव मेडिकोज एंड साइंटिस्ट फोरम (पीएमएसएफ) के नेशनल कन्वीनर डॉ. हरजीत भट्टी ने कहा कि एक तरफ सरकार एजुकेशन फ्री करने की बात करती है और दूसरी तरफ फीस बढ़ाने का फैसला लिया जा रहा है।
देश के प्रत्येक कॉलेज में मेडिकल फीस इतनी ज्यादा है कि आम आदमी उसमें दाखिला लेने से पहले हजार बार सोचता है। साथ ही अब स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से पत्र जारी करके देशभर के एम्स में पढ़ने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स और यूजर चार्ज को रिव्यू करने का आदेश दिया है। ऐसे में यही लग रहा है कि सरकार इनमें बढ़ोतरी करने का निर्णय ले रही है, जिसका पूरी मेडिकल फ्रेटरनिटी विरोध कर रही है। इसके अलावा एनएमसी बिल में भी फीस बढ़ाने से संबंधित कुछ चीजें शामिल हैं।
ऐसे में इसका विरोध करने के लिए ही शनिवार को जेएनयू के छात्रों के साथ प्रदर्शन किया गया। इसमें बढ़ी संख्या में मेडिकल फ्रेटरनिटी व आम लोग शामिल होंगे। वहीं बता दें कि एम्स स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से भी फीस बढ़ोतरी को लेकर विरोध किया जा रहा है। वहीं डॉ. मुकुल कुमार का कहना है कि हम एजुकेशन फॉर ऑल का समर्थन करते हैं और चाहे जो भी परिस्थिति हो, एजुकेशन को महंगा नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा करने से कई लोग पढ़ाई से वंचित रह जाएंगे।
आंदोलन युवाओं को जगाता है…
इस दौरान माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि जेएनयू का आंदोलन देश के युवाओं को जगाता है। यहां के छात्रों ने विश्वभर में देश का नाम रोशन किया है। शिक्षा, राजनीति, अर्थशास्त्र आदि के क्षेत्रों में जेएनयू के विद्यार्थियों ने अपने आप को स्थापित किया है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि मौजूदा केंद्र सरकार इसे बर्बाद और बदनाम करने की जुगत में है। नई शिक्षा नीति तर्क को समाप्त करने वाली है। येचुरी ने कहा कि विद्यार्थियों की फीस वृद्धि के खिलाफ यह आंदोलन जायज है और प्रशासन को फीस रोल बैक करने की जरूरत है। इस दौरान पूर्व सांसद उदित राज, चंद्रशेखर उर्फ रावण सहित कई नेता उपस्थित रहे।