दिल्ली उच्च न्यायालय ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई करने के बाद शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। इस मामले में अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी। जेएनयू के प्रोफेसर अतुल जौहरी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के लिए पुलिस को निर्देश देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जे. आर. मिधा ने आज दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की।
जेएनयू की आठ छात्राओं ने मार्च 2018 में प्रो. जौहरी पर यौन उत्पीड़न तथा अन्य गंभीर आरोप लगाते हुए अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन एक वर्ष से अधिक समय हो जाने के बाद भी पुलिस ने प्रो। जौहरी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है। इसे लेकर छात्राओं ने अदालत में याचिका दाखिल कर प्रो। जौहरी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की है।
छात्राओं ने बताया कि गत वर्ष मार्च महीने में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत प्रो। जौहरी के खिलाफ प्राथमिक दर्ज की गई थी। छात्राओं का कहना है कि इस मामले की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने के बाद एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पुलिस ने प्रो। जौहरी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है और इसका कोई कारण भी नहीं बताया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आरोप पत्र दाखिल करने में देरी होने पर आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकता है और साक्ष्य को मिटा सकता है। छात्राओं का कहना है कि एक वर्ष से अधिक समय तक आरोप पत्र दाखिल नहीं होने से यह संदेश जा रहा है कि पुलिस इस मामले में आरोपी को कानूनी प्रक्रिया से बचा रही है।