जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों ने गुरूवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय तक मार्च निकाला और जब उन्होंने राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ने का प्रयास किया तो उन्हें रोक दिया गया।
जेएनयू परिसर में हमले को लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदीश कुमार को हटाने की मांग के साथ बढ़ते प्रदर्शन के तहत निकाले जा रहे मार्च में कुछ छात्रों के साथ पुलिस की धक्कामुक्की हुई। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग भी किया।
दिल्ली पुलिस जेएनयू में छात्रों तथा शिक्षकों पर नकाबपोश हमलों के चार दिन बाद भी किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। इस बीच पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी कुमार को हटाने की मांग की।
कुमार को हटाने की मांग करते हुए जोशी ने ट्विटर पर कहा कि चौकाने वाली बात है कि कुलपति विश्वविद्यालय में शुल्क वृद्धि के संकट के समाधान के लिए सरकार के प्रस्ताव को लागू नहीं करने पर अड़े हैं। केंद्र सरकार ने कुलपति को हटाने की संभावना खारिज कर दी।
इस बीच जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत प्रदर्शनकारी छात्रों का नेतृत्व कर रहे विद्यार्थियों ने कहा कि वे अपनी मांग पर समझौता नहीं करेंगे, चाहे उनकी सुरक्षा को लेकर जो भी आश्वासन मिलते रहें।
कुमार ने पीटीआई से कहा कि विश्वविद्यालय ने परिसर में पांच जनवरी को हुई हिंसा की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाई है तथा छात्रों की सुरक्षा के लिए कदम सुझाये हैं।
हमले में 35 लोग घायल हो गये थे।
आज का मार्च मंडी हाउस से शुरू हुआ। पहले यह शास्त्री भवन पर आकर रुका जहां एचआरडी मंत्रालय है। प्रदर्शनकारियों के हाथों में ‘हल्ला बोल’ और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ नारे लिखे पोस्टर थे।
मार्च में माकपा नेता सीताराम येचुरी, प्रकाश करात और बृंदा करात तथा भाकपा नेता डी राजा भी शामिल हुए।
हालांकि पुलिस ने जेएनयू के छात्रों और शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों की मुलाकात मंत्रालय के अधिकारियों से कराई।
एक घंटे से अधिक वक्त तक चली मुलाकात के बाद आइशी घोष ने उपस्थित छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने अधिकारियों को बताया कि छात्रों तथा शिक्षकों पर दर्दनाक हमला हुआ था जो उन्हें आखिरी सांस तक याद रहेगा।
घोष ने कहा कि छात्र कुलपति को हटाने की मांग से कम किसी बात पर तैयार नहीं होंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘एचआरडी मंत्रालय अब भी सोच रहा है कि उन्हें हटाया जाए या नहीं। हमने मंत्रालय से कुलपति को हटाने की अपील की है। उन्होंने हमें बताया कि वे शुक्रवार को हमसे बात करेंगे।’’
मंत्रालय कुमार को हटाने की मांग पर नरम पड़ता नहीं दिखाई दिया।
उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा कि जिस बुनियादी मुद्दे पर समस्या सामने आई, उस पर पहले ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘कुलपति को हटाना कोई समस्या का हल नहीं है। किसी को बदलना उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना परिसर में सामने आये मुद्दों का समाधान करना।’’
कुमार पर छात्रों के हमले के बाद उचित कार्रवाई नहीं करने के आरोप लग रहे हैं।
एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात के बाद घोष ने अचानक ऐलान किया कि वे अब राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ेंगे क्योंकि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राष्ट्रपति हैं।
बाद में प्रदर्शनकारी छात्रों ने राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ने का प्रयास किया लेकिन उन्हें रोका गया और इस दौरान आधे घंटे तक नाटकीय स्थिति रही।
कुछ छात्रों के पुलिस के साथ धक्कामुक्की में चोटिल होने की खबरें हैं।
पुलिस ने जनपथ पर यातायात रोकने की कोशिश कर रहे लोगों पर हल्का बल प्रयोग भी किया। लाउड स्पीकर का इस्तेमाल कर रहे लोगों से पुलिस ने शांति बरतने की अपील की। पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
पुलिस ने कहा कि मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात तक प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे।
हालांकि बाद में प्रतिनिधिमंडल बैठक से बाहर आया और एक छात्र नेता ने भीड़ को राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ने के लिए उकसाया।
इससे राजेंद्र प्रसाद रोड पर सामान्य यातायात बाधित हो गया और कुछ छात्र राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ते भी देखे गये।
पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोका गया और इस दौरान 11 लोगों को हिरासत में लेकर छोड़ दिया गया।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर निशाना साधते हुए गुरूवार को कहा कि दिल्ली पुलिस कानून व्यवस्था बनाये रखने में सक्षम है लेकिन उसे केवल ‘‘खड़ा रहने और कोई कार्रवाई नहीं करने की नसीहत दी गयी है’’।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में हिंसा नहीं रोक पाने में दिल्ली पुलिस की कोई कमी नहीं है क्योंकि वे प्राप्त आदेशों का पालन कर रहे थे।
जेएनयू हिंसा पर केंद्र पर हमले को जारी रखते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में हिंसा ‘‘सरकार प्रायोजित गुंडागर्दी’’ है और गृह मंत्री अमित शाह तथा एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल इसके लिए जिम्मेदार हैं।
कांग्रेस की मांग है कि हिंसा में शामिल लोगों की पहचान हो और तत्काल उन्हें गिरफ्तार किया जाए।