दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने मंगलवार को केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर उनसे मंत्रालय की वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान सेवा ‘सफर’ की तकनीकी विशेषज्ञता साझा करने का अनुरोध किया ताकि प्रदेश सरकार वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए फौरन उपचारात्मक कदम उठा सके।
हर्षवर्धन को लिखे पत्र में गहलोत ने जोर दिया कि नवंबर के महीने में दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से ‘‘शहर में पीएम 2.5 का स्तर हमेशा काफी बढ़ जाता है।’’ एक खबर का हवाला देते हुए दिल्ली के मंत्री ने कहा कि वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान (सफर) ने कहा है कि पराली जलाने से दिल्ली में पीएम 2.5 की सघनता में महज दो फीसदी की वृद्धि होती है। इससे संकेत मिलता है कि इसके छह प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है।
गहलोत ने कहा कि मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, सफर के पास किसी खास दिन दिल्ली में पीएम 2.5 के स्तर में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को मापने की प्रौद्योगिकी है। उन्होंने केंद्रीय मंत्रालय से हर दिन प्रदूषण के स्रोतों पर आंकड़ें मुहैया कराने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे इस संबंध में सफर द्वारा विकसित की गई तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करने का अनुरोध करता हूं ताकि दिल्ली सरकार इससे फायदा उठा सकें। मैं समझता हूं कि आपका मंत्रालय भी उतना ही चिंतित है और दोनों सरकारें दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए एक साथ मिलकर काम कर सकती हैं।’’
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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट तथा राष्ट्रीय हरित अधिकरण से दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के संबंध में कुछ करने की अपील की थी। उन्होंने पहले कहा था कि अगर पराली जलाना बंद नहीं किया गया तो दिल्ली में प्रदूषण के मोर्चे पर अब तक किए गए सभी प्रयास नाकाम हो जाएंगे।
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित पर्यावरण प्रदूषण (निरोधक एवं नियंत्रण) प्राधिकरण ने कहा है कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में प्रदूषण के स्थानीय स्रोत खराब वायु गुणवत्ता के मुख्य कारण हैं।