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दिल्ली दंगे पर पुलिस की आंतरिक रिपोर्ट में कपिल मिश्रा, आजाद ने लोगों को दंगों का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया

दिल्ली पुलिस ने हाल ही में हुए दंगों के दौरान ‘मूक दर्शक’ बने रहने का जहां खामियाजा भुगता है, वहीं अब वह इस मामले में एक्शन मोड में आ गई है और विस्तार से सारी क्रोनोलॉजी की जांच कर रही है।

दिल्ली पुलिस ने हाल ही में हुए दंगों के दौरान ‘मूक दर्शक’ बने रहने का जहां खामियाजा भुगता है, वहीं अब वह इस मामले में एक्शन मोड में आ गई है और विस्तार से सारी क्रोनोलॉजी की जांच कर रही है। कैसे कपिल मिश्रा ने अपने समर्थकों को संदेश भेजा और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अल्पसंख्यक बहुल इलाकों के लोगों को दंगों का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया, जो कि 53 लोगों की मौत का कारण बना। 
समाचार एजेंसी के पास मौजूद पुलिस की आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है कि भीम आर्मी के एक वाहन पर नागरिक संशोधन कानून के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने हमला कर दिया। जिसके बाद भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने स्थानीय लोगों को जुटाया और जबावी कार्रवाई की। 
दंगों पर इस आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है, ’22 फरवरी, 2020 को रात करीब 10:30 बजे 500 महिलाओं ने नागरिक संशोधन कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास प्रदर्शन शुरू किया। उन्हें देखकर करीब 2000 स्थानीय युवा भी शामिल हुए।’ 
रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए मौलाना शमीम और मौलाना दाऊद को भी इसमें शामिल किया। 
रिपोर्ट कहती है, ’23 फरवरी की सुबह कपिल मिश्रा और दीपक सिंह ने सोशल मीडिया के जरिए अपने समर्थकों को संदेश भेजा और सीएए तथा एनआरसी के समर्थन में मौजपुर चौक पर अपराह्न् 2:30 बजे आने को कहा।’
 
पुलिस ने कहा है कि मिश्रा और दीपक सिंह एक साथ ढाई बजे मौके पर पहुंचे और करीब तीन घंटे वहां रुके। भीम आर्मी ने चंद्रशेखर के नेतृत्व में उसी दिन भारत बंद का आह्वान किया था। इसके बाद पुलिस ने विस्तार से बताया है कि किस तरह शाम पांच बजे दंगे शुरू हुए। 
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मौजपुर चौक पर भीम आर्मी के एक वाहन पर सीएए समर्थकों द्वारा हमला किया गया। फिर भीम आर्मी ने कर्दमपुरी और कबीर नगर से लोगों को बुलाया और जबावी कार्रवाई की। दोनों तरफ पत्थर फेंके गए।’
 
पुलिस का कहना है कि उनकी संख्या अपर्याप्त थी। एक अधिकारी के नेतृत्व में दो कंपनियां भेजी गईं। 
रात आठ बजे कर्दमपुरी फ्लैश पॉइंट बन चुका था। इसके चलते संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार और पुलिस उपायुक्त उत्तर-पूर्व वेद प्रकाश सूर्या स्थिति को नियंत्रित करने घटनास्थल पर पहुंचे। 
24 फरवरी को सुबह 10 बजे दंगे शुरू हो गए। कर्दमपुरी, चांदबाग, भजनपुरा, यमुना विहार, ब्रिजपुरी टी पॉइंट पर दोनों तरफ से आक्रामकता बढ़ गई थी। 
स्थिति को नियंत्रित करने पांच पुलिस उपायुक्तों और एक संयुक्त पुलिस आयुक्त को तैनात किया गया था। हालांकि, कर्दमपुरी और शेरपुर चौक पर भारी पत्थरबाजी शुरू हो गई थी। 
दो पुलिसकर्मियों -डीसीपी शाहदरा अमित शर्मा और एसीपी गोकुलपुरी अनुज कुमार को चोटें आईं और हेड कांस्टेबल रतन लाल को दंगाइयों की चपेट में आने के बाद अपनी जान गंवानी पड़ी। 
झड़पों का सिलसिला पूरे दिन जारी रहा और कई दुकानों में आग लगाई गई। एक पेट्रोल पंप जल गया और लूटपाट हुई। कई घर भी जला दिए गए और कई क्षतिग्रस्त हो गए। बहुत सारे लोग मारे गए और कई घायल हुए। 
पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘घोंडा, नूर-ए-इलाही, ब्रह्मपुरी लेन नंबर 1 और 3, चांद बाग और शेरपुर बाजार जैसी जगहें भी नए फ्लैशपॉइंट बन गईं।’
25 फरवरी को फ्लैशपॉइंट की संख्या बढ़ गई। दंगाइयों और पुलिस के बीच काफी झड़प हुई। 
हालांकि इस आंतरिक रिपोर्ट के बारे में जब दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी एम.एस.रंधावा से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे ऐसी किसी रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है। दिल्ली पुलिस दंगों की घटनाओं पर हर एंगल से जांच कर रही है। हमने 600 से अधिक मामले दर्ज किए हैं और अब तक 1,800 गिरफ्तारी की हैं।’

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