कोविड-19 से निपटने के संबंध में दिल्ली सरकार पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का जिक्र करते हुए भाजपा ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी की सच्चाई बाहर आ गई है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस संकट से निपटने में ‘विफल’ रहे हैं ।
उच्चतम न्यायालय ने अस्पतालों में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के इलाज और उनके साथ ही शवों को रखे जाने की घटनाओं का स्वत: संज्ञान लेते हुये इसे ‘दिल दहलाने वाला’ बताया और शुक्रवार को केन्द्र और विभिन्न राज्य सरकारों से जवाब मांगा। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘दिल्ली की स्थिति तो बहुत ही भयावह और दयनीय है।’’
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि दिल्ली सरकार को अदालत की बातों को लेकर गहराई से सोचने की जरूरत है । उसे राजनीति और प्रचार को एक तरफ रखकर जमीन पर काम करने की जरूरत है । उन्होंने ट्विट किया, ‘‘ उच्चतम न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल की विफलता पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है । दिल्ली की सच्चाई हमारे सामने है। केजरीवाल विफल हो गए हैं । ’’
सुप्रिम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाया ..COVID टेस्टिंग क्यों कम किया गया दिल्ली में? ..अस्पतालों में bed नहीं ..कूड़े में शव मिल रहें है ..
सुप्रिम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के असफलता पर कड़ी फटकार लगाई।
दिल्ली का सच आज हम सब के सामने है।#केजरीवाल_फेल_है— Sambit Patra (@sambitswaraj) June 12, 2020
बाद में पात्रा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली के लोगों के साथ पूरी तरह से खड़ी है और आम आदमी पार्टी की सरकार को मांगी गई मदद प्रदान करेगी । भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कोरोना वायरस की जांच की संख्या बढ़नी चाहिए और दिल्ली सरकार को मृतकों की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए ।
उन्होंने कहा, ‘‘ दिल्ली में जो राजनीतिक लोग सत्ता में हैं, उन्हें लोगों की चिंताओं को समझना चाहिए और केवल प्रेस कांफ्रेंस और प्रचार की राजनीति तक सीमित नहीं रहना चाहिए।’’
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि अस्पताल न तो शवों को ठीक से रखने की ओर ध्यान दे रहे हैं और न ही मृतकों के बारे में उनके परिवार को ही सूचित कर रहे हैं जिसका नतीजा यह हो रहा है कि वे अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पा रहे हैं।