नई दिल्ली : मेट्रो बोर्ड में किसी भी गैर सरकारी व्यक्ति की नियुक्ति संभव नहीं है। यह बात केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने निर्माण भवन में मंगलवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कही। पुरी ने कहा कि 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा मदनलाल खुराना की नियुक्ति पर आपत्ति जताए जाने के बाद भाजपा सांसद खुराना ने डीएमआरसी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। पुरी ने कहा कि मंत्रालय में सेवारत सचिव द्वारा डीएमआरसी बोर्ड को बड़ी सक्षमता से संभाला जाता है।
उस बोर्ड में गैर-आधिकारिक लोगों के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए पुरी ने कहा कि अब हमारे पास अलग स्थिति है, जहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक सांसद के नाम का सुझाव नहीं दे रहे हैं बल्कि वह ऐसे दो लोगों के नाम सुझा रहे हैं जो सांसद का चुनाव हार गए हैं। इस मौके पर हरदीप पुरी ने अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने के मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर लगातार झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने हमेशा ही इन कालोनियों को नियमित करने का काम लटकाने की कोशिश की है।
अभी भी वे इन कालोनियों की मैपिंग आदि कराने के लिए वर्ष 2021 तक का समय मांग रहे थे। पुरी ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि वह किसी मसले पर ‘स्टैंड’ नहीं लेते हैं और अपनी बात से पलटने की उन्हें आदत हैं। जब केंद्र सरकार की ओर से उन्हें अनधिकृत काॅलोनियों को नियमित करने का कैबिनेट एक स्टेक होल्डर के तौर पर भेजा गया तो अपनी इसी आदत के चलते उन्होंने इसका श्रेय लेना शुरू कर दिया। केंद्र सरकार ने नवंबर 2015 के उन्हीं के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जबकि ऐसा कुछ नहीं है।
खुद क्यों नहीं छोड़ देते मंत्रालय : राघव
दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के तर्क के अनुसार उन्हें खुद भी मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश भर में मोदी सुनामी के बावजूद हरदीप सिंह पुरी अमृतसर से लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में उन्हें भी अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
माकन ने भी किया खारिज
पुरी के दावे को खारिज करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा कि मदनलाल खुराना ने दिसंबर 2003 में लोकसभा से और डीएमआरसी अध्यक्ष पद से इसलिए इस्तीफा दिया था क्योंकि उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बना दिया था। कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया, खुराना जी ने 24 दिसंबर 2003 को लोकसभा और डीएमआरसी के अध्यक्ष पद से इसलिए इस्तीफा था क्योंकि उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया था।
कॉलोनियों के नियमन का मुद्दा सुलझा दे केंद्र, चाहे तो ले ले पूरा श्रेय : दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार ने हरदीप सिंह पुरी के सभी आरोपों को गलत बताया है। उनका कहना है कि अनधिकृत कॉलोनियों के नियमन का मुद्दा दशकों पुराना है। कॉलोनियां नियमन करने का मुद्दा केंद्र सरकार सुलझा दे, इसके बदले में चाहे वो पूरा श्रेय खुद ले ले। अनधिकृत कॉलोनियों में वर्षों से लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। वहां पर विकास पहुंच से काफी दूर है। फिलहाल हम इस पर पिछले चार साल से काम कर रहे हैं। 1,797 कॉलोनियों में दिल्ली सरकार पक्की सड़क, नालियां और सीवर डालने का कार्य निरंतर कर रही है और आगे भी करते रहेगी।
केंद्र का जताया आभार… बता दें कि सीएम केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह कह चुके हैं कि ‘हमें खुशी हुई कि केंद्र सरकार ने हमारे प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।’ इस पर मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार का शुक्रिया भी अदा किया। इसके लिए मैं केंद्र सरकार को बधाई देते हुए कहा था कि हमें खुशी है कि जो सपना इन लोगों ने देखा था, वो अब पूरा होने जा रहा है।
10 दिनों में कैबिनेट नोट पर स्टेक होल्डरों के आ जाएंगे सुझाव
पुरी ने बताया कि एक सप्ताह से दस दिन में कैबिनेट नोट पर स्टेक होल्डरों की आपत्तियां-सुझाव आ जाएंगे। इसके बाद काॅलोनियों को नियमित करने का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में ले आया जाएगा। इसके बाद कालोनियों को नियमित करने से संबंधित सभी एजेंसियों (नगर निगम, दिल्ली सरकार और डीडीए) के साथ बैठक की जाएगी, ताकि काॅलोनियों के नियमितिकरण का रोडमैप तैयार किया जा सके।
दिल्ली में सरकारी व निजी जमीन पर बसी सभी 1,797 कॉलोनियां नियमित होंगी। इसके लिए पहले कटऑफ डेट 2008 थी जिसे संशोधित कर अब एक जनवरी 2015 तय की है। इससे पहले दिल्ली की पूरी बसावट को मौजूदा प्रक्रिया के तहत नियमित किया जाएगा।