नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव और भाजपा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली की जनता के हित में काम नहीं करने का आरोप लगाया है। ऐसे में मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली की जनता के हितैषी नहीं है। यह बहुत ही निंदनीय है कि एक चुने हुए विधायक को लोगों के काम करवाने के लिए अदालतों तक जाना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में सिरसा ने कहा कि चुने हुए जनता के प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए मांग की अनदेखा हो रही है।
उन्होंने कहा है कि उनकी तरफ से अलग-अलग अहम मुद्दों पर लिखे पत्रों को नजरअंदाज किया गया। उनको दिल्ली में हुक्का बारों पर पाबंदी समेत कई अहम मुद्दे दिल्ली विधानसभा में उठाने ही नहीं दिए गए और उनकी तरफ से दिल्ली विधानसभा के नियम 54 के अंतर्गत सदन में विचार-विमर्श के लिए 4 अक्तूबर, 9 अक्तूबर और फिर 10 अक्तूबर को दिए नोटिस भी रद्द कर दिए गए। उन्होंने अफसोस जाहिर किया कि दूसरी तरफ गैर जरूरी मुद्दे पर विधानसभा में विचार जारी है। इनमें खास तौर से ईवीएम और अन्य मामले मुख्य हैं।
सिरसा ने कहा कि जब उनको दिल्ली सरकार से कोई जवाब नहीं मिला तो उनको मजबूर होकर दिल्ली में हुक्का बारों पर पाबंदी के लिए अदालत की शरण में जाना पड़ा। यही नहीं दिल्ली के एमपी और केंद्रीय मंत्री हर्ष वर्धन ने भी मामला दिल्ली के उप राज्यपाल और केंद्रीय सेहत मंत्री के पास उठाया। इस पर कार्रवाई करते 23 मई 2017 को सेहत मंत्रालय भारत सरकार ने दिल्ली में हुक्का बार पर पाबंदी लगा दी। यह बहुत ही शर्म वाली बात है कि मामले की गंभीरता और हुक्कों के बुरे प्रभाव से अवगत होने के बावजूद भी दिल्ली सरकार ने इसको नहीं रोका।
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