भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर राष्ट्रीय राजधानी का विकास कार्य रोकने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि केंद्र ने शहर के लिए 11 हजार बसों के परिचालन को मंजूरी दी लेकिन चार हजार बसें ही चलायी जा रही है।
श्री पुरी ने अपने कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली के वायु प्रदूषण की जिम्मेदारी पड़सी राज्यों पर डाली जा रही है लेकिन शहर में सार्वजनिक परिवहन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ किसी भी विकास परियोजना पर दिल्ली के मुख्यमंत्री का पहला जवाब होता है- मंजूर नहीं।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में 11 हजार बसों के परिचालन को मंजूरी दी लेकिन शहर में सार्वजनिक परिवहन की मात्र चार हजार बसें हैं। उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में मात्र 250 बसें ही दिल्ली सरकार खरीद पायी है। यह सिलसिला इसी तरह से चलता रहा है वर्ष 2040 तक मंजूर बसें सडकों पर उतर पायेंगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली मेट्रो के विस्तार के लिए दिल्ली सरकार ने सहयोग नहीं किया तो केंद्र सरकार ने अपने बलबूते यह परियोजना चलाने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो में प्रतिदिन यात्रा करने वालों लोगों की संख्या 65 लाख तक पहुंच गयी है। इससे प्रदूषण से निपटने में मदद मिली है। बस व्यवस्था बेहतर करने से प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
श्री पुरी ने कहा कि दिल्ली की जनता को सस्ती या मुफ्त देने का कोई विरोध नहीं है लेकिन इन सुविधाओं के लिए बुनियादी ढ़चा उपलब्ध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली की अनधिकृत बस्तियों का मानचित्र बनाने के लिए केजरीवाल सरकार ने दो वर्ष की मांग की। वर्ष 2008 से मानचित्र बनाने के प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी अनधिकृत बस्तियों का मानचित्र बनाने की प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है और अगले तीन महीनों में इसे पूरा कर लिया जाएगा।
उन्होंने अनधिकृत बस्तियों में लघु उद्योगों के संबंध में कहा कि संबंधित प्रावधानों में बदलाव किया गया है। छोटे उद्योगों के लिए बिजली का 11 किलोवाट का कलेक्शन और नौ कामगारों की संख्या तय की गयी है। ऐसे उद्योगों को अनापत्ति प्रमाण की जरुरत नहीं होगी।