दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने आप सरकार के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों और निजी अस्पतालों को नगरवासियों के लिए आरक्षित कर दिया गया था। उपराज्यपाल बैजल ने कहा कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में हर किसी को इलाज मिलना चाहिए। उपराज्यपाल के इस फैसले के बाद कयास लगाएं जा रहे हैं कि आप सरकार और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच टकराव और भी बढ़ सकता है।
उपराज्यपाल के इस फैसले पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ” LG साहिब के आदेश ने दिल्ली के लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या और चुनौती पैदा कर दी है। देशभर से आने वाले लोगों के लिए करोना महामारी के दौरान इलाज का इंतज़ाम करना बड़ी चुनौती है।शायद भगवान की मर्ज़ी है कि हम पूरे देश के लोगों की सेवा करें।हम सबके इलाज का इंतज़ाम करने की कोशिश करेंगे।”
LG साहिब के आदेश ने दिल्ली के लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या और चुनौती पैदा कर दी है
देशभर से आने वाले लोगों के लिए करोना महामारी के दौरान इलाज का इंतज़ाम करना बड़ी चुनौती है।शायद भगवान की मर्ज़ी है कि हम पूरे देश के लोगों की सेवा करें।हम सबके इलाज का इंतज़ाम करने की कोशिश करेंगे
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 8, 2020
तो वहीं, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मुद्दें पर बीजेपी पर जम कर निशाना साथा है। सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा,”बीजेपी की राज्य सरकारें PPE किट घोटालों और वेंटिलेटर घोटालों में व्यस्त हैं. दिल्ली सरकार सोच समझकर, ईमानदारी से इस डिज़ास्टर को मैनेज करने की कोशिश कर रही है. यह बीजेपी से देखा नहीं जा रहा इसलिए LG पर दबाव डालकर घटिया राजनीति की है”।
बीजेपी की राज्य सरकारें PPE किट घोटालों और वेंटिलेटर घोटालों में व्यस्त हैं. दिल्ली सरकार सोच समझकर, ईमानदारी से इस डिज़ास्टर को मैनेज करने की कोशिश कर रही है. यह बीजेपी से देखा नहीं जा रहा इसलिए LG पर दबाव डालकर घटिया राजनीति की है. https://t.co/65l87GZfi3
— Manish Sisodia (@msisodia) June 8, 2020
बता दें कि उपराज्यपाल अनिल बैजल दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष भी हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को घोषणा की थी कि दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों और निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस संकट के दौरान केवल दिल्लीवासियों का ही इलाज होगा। उन्होंने एक समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि जून के अंत तक दिल्ली में 15,000 बिस्तरों की आवश्यकता होगी और यदि अन्य राज्यों के लोगों को यहां इलाज कराने की अनुमति दे दी गयी तो यहां सभी बिस्तर तीन दिनों के अंदर ही भर जाएंगे।