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केजरीवाल राजनीति चमकाने में कर रहे करोड़ों खर्च : तिवारी

मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से शिक्षा के नाम पर प्रतिदिन प्रचार और शिक्षा सुधार के नाम पर खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपये की बर्बादी की जा रही है।

नई दिल्ली : दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से शिक्षा के नाम पर प्रतिदिन प्रचार और शिक्षा सुधार के नाम पर खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपये की बर्बादी की जा रही है। दिल्ली के करदाताओं के पैसों का केजरीवाल सरकार अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। 
प्रचार-प्रसार के हर हथकंडे को अपनाने की बजाय बेहतर होता कि दिल्ली सरकार शिक्षा के बिगड़े मूलभूत ढांचे को ठीक करती और सरकारी स्कूलों की गिरती शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ठोस उपाय करती। तिवारी ने कहा कि ‘हैप्पीनेस क्लास’ के नाम पर निरंतर दिए जा रहे प्रचार से शिक्षा व्यवस्था में कोई सुधार होने वाला नहीं है और न ही शिक्षा से जुड़े बड़े नामों को एक दिन सरकारी स्कूलों में घुमाने से बच्चों के गिरते रिजल्ट में कोई सुधार ही होगा। 
दिल्ली सरकार शिक्षा से जुड़ी बड़ी शख्सियतों को अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। अगर दिल्ली सरकार की शिक्षा को बेहतर बनाने की कोई इच्छा होती तो नामचीन लोगों को 54 महीने के कार्यकाल में दिल्ली सरकार ले आती और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए ठोस काम करती, लेकिन राजनीतिक फायदा लेने के लिए आज दिल्ली सरकार हर तरह के हथकंडें अपना रही है। 
इससे कुछ समय के लिए दिल्ली सरकार अपने पक्ष में माहौल तो जरूर बना सकती है, लेकिन गिरती शिक्षा व्यवस्था में इससे कोई सुधार होने वाला नहीं है। आज 10वीं और 12वीं के फेल हुए 91 फीसद बच्चों का कहीं भी दोबारा दाखिला नहीं हो रहा है। उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, लेकिन दिल्ली सरकार आंख मूंदकर बैठी हुई है। तिवारी ने कहा कि 500 नये स्कूलों को बनाने का वादा करके दिल्ली की सत्ता में आए केजरीवाल ने एक भी नया स्कूल नहीं बनाया, जबकि स्कूल बनाने के लिए 82 प्लॉट खाली पड़े हैं। 
स्कूलों के अंदर जो कमरे बनवाये गए उसमें करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया जिसकी शिकायत लोकायुक्त और एसीबी को की जा चुकी है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों में से 75 प्रतिशत बच्चों का रिजल्ट 60 प्रतिशत से कम है जिसके कारण उनका दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी भी काॅलेज में दाखिला नहीं हो पा रहा है। बड़ी संख्या में छात्र ओपन स्कूल और पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से पढ़ने के लिए मजबूर हैं। 
दिल्ली सरकार को सेमी परमानेंट स्ट्रेक्चर बनाने की जगह पक्के भवनों का निर्माण ही करना चाहिए था, क्योंकि शिक्षा व्यवस्था कोई अस्थायी व्यस्था नहीं है जिसे बाद में बंद किया जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि केजरीवाल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और अपने करीबी लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए शिक्षा के भवन निर्माण की न तो ठोस व्यवस्था की और न ही बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता पर ध्यान दिया।

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