नई दिल्ली : दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने लोकसभा चुनाव में हार के बाद विधानसभा चुनाव के लिए दिल्ली में महिलाओं को मेट्रो और डीटीसी बस में मुफ्त यात्रा का जो ‘तुरुप का इक्का’ चला, उससे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के पेट में दर्द हो गया। खास कर भाजपा इसे शगूफा बताकर दिल्ली की जनता को मैसेज देने की कोशिश में लग गए हैं। साथ ही भाजपा केजरीवाल पर पूरी तरह हमलावर हो गई, भाजपा ने आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि पहले के वादे ही केजरीवाल ने पूरे नहीं किए, इसे क्या पूरा करेंगे।
ऐसे ही कांग्रेस ने भी आप पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वास्तव में आप पार्टी की इस ‘मुफ्त’ की राजनीति से दोनों पार्टियां ही सकते में हैं। केजरीवाल सरकार के इस दांव को विधानसभा चुनाव-2020 का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। दिल्ली भाजपा का हर नेता चीख-चीख कर इस बात को बताने की कोशिश कर रहा है कि पहले भी केजरीवाल ने कई ऐसे वादे किए जो पूरे नहीं हुए। साथ ही दिल्ली वालों को यह भी बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यह बिना केन्द्र की सहमति के संभव ही नहीं है। यही नहीं भाजपा का आरोप है कि दिल्ली सरकार तो एक तरफ तो कह रही है कि दिल्ली में विकास के लिए पैसा नहीं लेकिन मुफ्त की यात्रा के लिए 1300 करोड़ की सलाना सब्सिडी देने के लिए तैयार हो गई है।
दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी का कहना है कि इसमें केन्द्र सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। दिल्ली सरकार अपने खाते से इसके लिए सब्सिडी देगी। अपने ऊपर लगने वाले आरोपों पर आप पार्टी का कहना है कि यह तो भाजपा की नियती है कि किसी अन्य को काम करते देखते हैं तो उनके पेट में दर्द होने लगता है, लेकिन दिल्ली की जनता जानती है कि उन्हें क्या करना है।
आप पार्टी का कहना है कि भाजपा तो दिल्ली में सातों सीटें लोकसभा की जीती हैं, उसके बाद भी उन्हें अपने ऊपर भरोसा नहीं है, क्योंकि दिल्ली के लिए उन्होंने कोई काम तो किया नहीं। दिल्ली के नगर निगम में भाजपा का शासन है, लेकिन वह काम नहीं करते हैं। गौरतलब है कि दिल्ली में रोजना करीब दस लाख महिलाएं सफर करती हैं। इसमें जहां एक लाख महिलाएं बसों में तो नौ लाख के करीब मेट्रो में सफर करती हैं। केजरीवाल की इस योजना से इन महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा।
– सुरेन्द्र पंडित