नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मुद्रास्फीति के अनुरूप प्रत्येक पांच साल में सांसदों के वेतन में स्वत: संशोधन के लिए आज एक कानून का प्रस्ताव रखा। जेटली ने यहां अपना पांचवा बजट पेश करते हुए कहा कि संसद सदस्यों को भुगतान की जाने वाली राशि पर सार्वजनिक बहस हुई थी और सांसदों को खुद से अपना वेतन तय करने की अनुमति देने वाली मौजूदा व्यवस्था की भी निंदा की गई थी। उन्होंने कहा,‘‘ ‘इसलिए मैं एक अप्रैल, 2018 से वेतन, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, कार्यालय व्यय और सांसदों को दिये जाने वाले बैठक भत्ते के पुन: निर्धारण के लिए आवश्यक परिवर्तनों का प्रस्ताव रख रहा हूं।’’
जेटली ने कहा कि इस कानून के तहत मुद्रास्फीति के अनुरूप प्रत्येक पांच वर्ष में सांसदों के वेतन में स्वत: संशोधन हो जायेगा और सांसद इस कदम का स्वागत करेंगे और भविष्य में उन्हें ‘‘इस तरह की किसी आलोचना का सामना नहीं करना पडेगा।’’ एक सांसद के पारिश्रमिक में प्रतिमाह 50,000 रुपये का मूल वेतन , 45 हजार रुपये निर्वाचन भत्ते के अलावा अन्य अनुलाभ शामिल हैं। सरकार लगभग 2.7 लाख रुपये प्रतिमाह हर सांसद पर खर्च करती है।
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